आशूर ख़ाना इमाम बाड़ा के दरख़ास्त गुज़ारों की वज़ाहत

हैदराबाद 22 मार्च : मसरस मीर दिलावर अली ख़ां, मुस्तफ़ा अली और हाशिम अली ने आज एक मुशतर्का बयान जारी करते हुए रोज़नामा सियासत मौरर्ख़ा 20 मार्च के सफ़ा 6 पर मुस्लमानों में मसलकी-ओ-गुरु ही इख़तिलाफ़ात को फ़रोग़ देने दुश्मनाँ की साज़िश के उनवान से शाय ख़बर के ताल्लुक़ से ये वज़ाहत की कि आशूर ख़ाना इमाम बाड़ा से मुताल्लिक़ हाईकोर्ट में दायर करदा हलफ़नामा के मवाद से वो मुत्तफ़िक़ नहीं हैं जिस में ये लिखा गया है कि नऊज़-बिल-लाह सुनी ही क़ातिलाँ हुसैन हैं। ‘

उन्हों ने वज़ाहत की कि बिरादरान अहलसन्नत महबान अहल-ए-बैत होते हैं और कोई भी मुस्लमान अहल-ए-बैत इतहार की मुहब्बत के बगै़र मुस्लमान नहीं हो सकता।

यज़ीद की मलामत शीया और सुनी दोनों ही करते हैं और ताक़यामत करते रहेंगी। इस का अमली सबूत दुनियाए इस्लाम को उस वक़्त मिला जब सुनी भाईयों ने यज़ीद की तारीफ़ करने वाले एक डाक्टर की खुल कर मुख़ालिफ़त की।

इमाम बाड़ा रैन बाज़ार की हिसारबंदी का जहां तक मुआमला है उसे आपसी और मसलकी इख़तिलाफ़ से मरबूत मसला नहीं बनाया जाना चाहीए और हाइकोर्ट के अहकामात की रोशनी में तामीर होने दिया जाना चाहिए ।

इस ज़िमन में बिरादरान अहलसन्नत वालजमाअत की जो दिल आज़ारी हुई है इस पर हम माज़रत ख़ाह हैं