हैदराबाद १८ जुलाई ( सियासत न्यूज़ ) रियासत हैदराबाद दक्कन ने आसिफ़ जाह शुशम नवाब मीर महबूब अली ख़ां के दौर में जो मिसाली तरक़्क़ी की है वो लायक़ सताइश है इस दौर में रियासत की तरक़्क़ी केलिए जो इक़दामात किए गए वो तमाम मुशावरत के ज़रीया हुए थे । आसिफ़ जाहि हुकमरान ने बादशाही निज़ाम में भी क़ानून की हुक्मरानी राइजकरते हुए अज़ीम कारनामा अंजाम दिया था । नवाब मीर महबूब अली ख़ां पर मुनाक़िदा डाक्टर शीला राज मैमोरियल लैक्चर से ख़िताब के दौरान डाक्टर तरो मिली दिल्ली यूनीवर्सिटी ने इन ख़्यालात का इज़हार किया ।
उन्हों ने बताया कि हैदराबाद में पहलीमर्तबा दस्तूर की तदवीन नवाब मीर महबूब अली ख़ां के दौर में हुई और उन्हों ने दस्तूर साज़ी के ज़रीया क़ानूनसाज़ कौंसल और वुज़रा कौंसल तशकील दी ताकि अवामी फ़ैसलों को उन की मंज़ूरी के बाद क़तईयत दी जा सके । डाक्टर तरो मिली ने बताया कि इस वक़्त मुंबई और मद्रास परीसीडनसी से ज़्यादा मआशी तौर पर मुस्तहकम ममलकत हैदराबाद थी जिस ने मआशी इस्लाहात के ज़रीया कई तरक़्क़ीयाती इक़दामात का आग़ाज़ किया औरमालिया को मुस्तहकम रखने ज़रूरी इक़दामात किए । इलावा अज़ीं आसिफ़ जाह शुशम के दौर हुक्मरानी में हैदराबाद से दरआमदात में इज़ाफ़ा हुआ जो इस ख़ित्ता की तरक़्क़ी का अहम हिस्सा रही ।
उन्हों ने बताया कि बादशाह वक़्त की जानिब से तशकील इदारे हर तीन माह में सहि माही बजट जायज़ा इजलास मुनाक़िद करके आमदनी और अख़राजात का जायज़ा लेते ताकि फ़लाही कामों का सिलसिला जारी रहे । इन ही के दौर में पट्टा हुक्मनिज़ाम राइज किया गया जिस में हर शख़्स को ज़मीन रखने का हक़ फ़राहम किया गया और आज भी ये निज़ाम पट्टा पास बुक की शक्ल में मौजूद है । डाक्टर तरो मिली ने बताया कि हैदराबाद में बजट के अमल के आग़ाज़ ने ममलकत की मईशत को मज़बूत किया । उन्हों ने कहा कि आसिफ़ जाह शुशम ने आफ़ात समावी-ओ-नागहानी से निमटने क़ानूनसाज़ी करके अवाम को राहत दी ।
इस दौर-ए-हकूमत में ना सिर्फ फ़िर्कावाराना हम आहंगी थी बल्कि तहज़ीबी हम आहंगी पर भी तवज्जा मबज़ूल की जाती थी बादशाही दौर के बावजूद ममलकत में क़ानून की हुक्मरानी के सबब ही बर्तानवी सामराज हैदराबाद केमुआमलात में मुदाख़िलत करने से क़ासिर था चूँकि हैदराबाद का अपना बेहतरीन दस्तूर था और इस में कोई ख़ामी नज़र नहीं आरही थी जिस पर निशाना बनाया जा सके । डाक्टर तरो मिली ने बताया कि सरकारी मुलाज़मीन और उन के कैडर का निज़ाम भी पहली मर्तबाआसिफ़ जाह शुशम नवाब मीर महबूब अली ख़ां के दौर में मुतआरिफ़ करवाया गया । उन्हों ने बताया कि नवाब मीर महबूब अली ख़ां इंतिज़ामी उमूर में बहुत कम मुदाख़िलत किया करते थे ।
नवाब मीर महबूब अली ख़ां कई ज़बानों पर उबूर रखते थे अपने दौर में मौजूदा सिटी कॉलिज उस वक़्त हैदराबाद इंग्लिश कॉलिज के नाम से शुरू करवाया था जिस के प्रिंसिपल मिस्टर रग्घू नाथ चटर्जी को लंदन से बुलवाया गया था ताकि अंग्रेज़ी में महारत के लिए कॉलिज के इंतिज़ामी उमूर बेहतर अंजाम दीए जा सकें । नवाब मीर महबूब अली ख़ां ने ही सब से पहले ख़ज़ाना-ए-आमिरा के ज़रीया तनख़्वाहों की इजराई के अमल का आग़ाज़ किया ।
इसी दौर हुक्मरानी मैं ताल्लुक़ा जात को वुसअत देते हुए ज़िलों की हैसियत दी गई । इलावा अज़ीं अवामी ज़िंदगी को तीन ज़मरों में तक़सीम किया गया । सालार जंग म्यूज़ीयम में मुनाक़िद हुए इस शीला राज यादगार लेक्चर की सदारत डाक्टर रहीम उद्दीन कमाल ने की । निज़ाम हफ़तुम की पौत्री साहबज़ादी रशीद उन्निसा बेगम बहैसीयत मेहमान ख़ुसूसी मौजूद थीं ।