हैदराबाद ।१४अगस्त (सियासत न्यूज़) प्रदेश कांग्रेस के तर्जुमान फ़िरोज़ ख़ां ने चीफ़ मिनिस्टर की इफ़तार पार्टी पर लाखों रुपय के ख़र्च पर अफ़सोस का इज़हार किया और कहा कि तक़रीबन एक करोड़ रुपय तक इस दावत इफ़तार पर ख़र्च किए गए लेकिन इस से अक़ल्लीयतों के दिलों को जीता नहीं जा सकता।
उन्हों ने अपने ब्यान में कहा कि बाअज़क़ाइदीन चीफ़ मिनिस्टर की दावत इफ़तार को रिवायत क़रार दे रहे हैं। जबकि ये गुज़श्ता चंद बरसों का ही मुआमला है । इफ़तार एक मुकम्मल मज़हबी मुआमला है लेकिन उसे फ़ैशन के तौर पर इस्तिमाल किया जा रहा है । मुस्लमानों के मसाइल जूं के तूं बरक़रार हैं और हुकूमत को उन की यकसूई में कोई दिलचस्पी नहीं। उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर से सवाल किया कि क्या इस दावत से मुस्लमानों के मसाइल हल हूजा ऐनगे ।
इफ़तार में ग़रीब रोज़ादार मुस्लमानों को शिरकत की इजाज़त तक नहीं थी फिर ऐसे इफ़तार का क्या फ़ायदा। काश इस रक़म का ख़र्च करके दिखावे की बजाय ग़रीबों की भलाई पर इस्तिमाल किया जाता। इफ़तार कल्चर से मुस्लमानों को ख़ुश नहीं किया जा सकता और ना उन के वोट हासिल किए जा सकती। हैरत तो इस बात पर है कि मुस्लिम क़ाइदीन मुस्लिममसाइल पर हुकूमत की तवज्जा मबज़ूल करने के बजाय इफ़तार पार्टी केलिए नुमाइंदगी कर रहे हैं।
उन्हों ने कहा कि मुस्लमानों के तालीमी , समाजी , पसमांदगी और दीगरमसाइल हैं और हुकूमत को उन की यकसूई की कोई फ़िक्र नहीं। अगर यही सूरत-एहाल रही तो मुस्लमान कांग्रेस से दूर होजाएंगी। उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर को मश्वरा दिया कि वो अगर मुस्लिम मसाइल की यकसूई में संजीदा हैं तो माहिरीन की एक कमेटी तशकील देते हुए उस की सिफ़ारिशात हासिल करें।
उन्हों ने कहा कि कई ऐसे मदारिस हैं जहां यतीम तलबा ज़ेर-ए-तालीम हैं और हॉस्टलस की हालत ख़स्ता है। बच्चे दो वक़्त के खाने से महरूम हैं। दावत इफ़तार की रक़म को इन ग़रीबों पर ख़र्च किया जाना चाहिए ।