इस्लाम‌ में मुकम्मल मआशी निज़ाम(संपूर्ण आर्थिक तंत्र‌) और शरीयत से हिदायात और रहनुमाई(मार्गदर्शन‌) मौजूद

हैदराबाद ०५ नवंबर (सियासत न्यूज़) इस्लाम में मुकम्मल मआशी निज़ाम मिलता ही। शरीयत ज़िंदगी के हर शोबा में रहबरी करती ही। बैंकिंग सिस्टम फ़ीनानस और इंशोरंस के लिए इस्लाम में क्या हिदायात हैं, कौनसी चीज़ें हराम है और कौनसी हलाल , क़ुरआन में हिदायात(राय‌) मिलती हैं। इन ख़्यालात का इज़हार यहां सियासत गोल्डन जुबली हाल अहाता सियासत आबडस में एक ख़ुसूसी समीनार को मुख़ातब करते हुए मुहम्मद आसिम फ़ारूक़ डायरैक्टर इंस्टीटियूट आफ़ इस्लामिक बंकिंग फ़ीनानस ऐंड इंशोरंस ने किया जो चेन्नाई तमिलनाडु में ये इदारा के ज़िम्मेदार हैं।

इस इदारा के ओहदेदारान ने यहां एक रोज़ा वर्कशॉप में इज़हार-ए-ख़्याल करते हुए इस्लामी मआशी निज़ाम के ख़द्द-ओ-ख़ाल को तफ़सीली तौर पर पेश किया। डाक्टर फ़ज़ल अल्लाह शरीफ़ सदर शोबा अरी अवनति डिग्री पी जी कॉलिज ने करानी आयात के हवालाजात के साथ तर्जुमा को सहल अंदाज़ में बयान किया और तिजारत(व्यापार‌) का हुक्म जो अल्लाह ताला ने क़ुरआन में दिया ही। उस को समझने और उन पर अमल करने की तलक़ीन की।

मिस्टर ऐम ऐस शरीफ़ डायरैक्टर ऐडीशन सेल ने तलबा-ए-ओ- तालिबात को इंस्टीटियूट के तहत चलाए जाने वाले कोर्सेस की तफ़सीलात बताते हुए उस को रास्त रोज़गार से मरबूत क़रार दिया और कहा कि दुनिया भर में आज इस्लामिक बैंकिंग में हज़ारों जायदादों की ज़रूरत है। दुनिया के कई ममालिक इस्लामिक बंकिंग को अपनाने और इस के तरीका-ए-कार पर अमल पैरा मुस्लिम ममालिक में उन की ज़बरदस्त मांग ही। अनजीनर नसीर अहमद ख़तीब डायरैक्टर इंटरनैशनल अफयर्स ने अपने लकचर में सूद की वजह जो वाक़ियात आज रौनुमा होरहे हैं उस की तफ़सीलात पेश कीं।

सूद अदा ना करने पर बाप की सज़ा बच्चा को दी जाती है और उन के अफ़राद ख़ानदान मुतास्सिर होते हैं उन्हें आज भी बंधवा मज़दूर बनाया जाता ही। उस की हमारे मुलक हिंदूस्तान के मुख़्तलिफ़ रियास्तों और मुक़ामात के वाक़ियात की मिसालें पेश कीं। किसानों की ख़ुदकुशी के वाक़ियात के हवाला से बताया कि फ़सल की तबाहकारी की वजह जो नुक़्सान होता है और किसान रक़म वापिस नहीं कर पाते वो रक़म और सूद के ख़ौफ़ से अपनी जानें गंवा रहे हैं। इस्लाम में सूद भी हराम है और ख़ुदकुशी भी हराम ही। ये वाक़ियात क्यों रौनुमा हो रहे हैं।

इस्लामी तालीमात और इस्लामी मआशी निज़ाम में कई हिदायात मिलती हैं और सही रहनुमाई होती ही। उन्हों ने मिल्लत-ए-इस्लामीया के नौजवानों पर ज़ोर दिया कि वो ग़ैरों के सामने इस्लामी निज़ाम की हक़्क़ानियत को सही अंदाज़ में पेश करें। शरीयत सही राह बताने का नाम है जिस से हिदायत भी मिलती है और रहनुमाई(मार्गदर्शन‌) भी।

इदारा सियासत के बाहमी इश्तिराक से मुनाक़िद होने वाले इस समीनार का आग़ाज़ डाक्टर मुहम्मद इमादा उद्दीन सदर शोबा अरबी सिरी चैतन्या कॉलिज की क़रणत कलाम पाक से हुआ और डाक्टर शार्क़ निसार ने इस्लाम में सूद की हुर्मत पर मक़ाला पेश किया। जो करानी आयात के हवाला से हाज़िरीन में तक़सीम किया गया। इस मक़सदी समीनार में शहर और अज़ला से कसीर तादाद ने शिरकत की।

मिस्टर अहमद क़ुरैशी ऐम एससी ऐम ऐड लकचरर शाह आलम इंजीनीयरिंग कॉलिज ने हिस्सा लिया। एम ए हमीद कैरियर कौंसिलर सियासत ने मुआवनत (सहायता)की। आख़िर में डाक्टर फ़ज़ल अल्लाह शरीफ़ ने शुक्रिया अदा किया