हैदराबाद २९अक्टूबर: मर्कज़ी अंजुमन मातमी गिर वहाँ हैदराबाद आंधरा प्रदेश के सदर नजफ़ अली शौकत ने कहा है कि बिरादरान इस्लाम को बुला लिहाज़ मसलक सफ़ आरा होने की ज़रूरत है ताकि इस्लाम के ख़िलाफ़ उठने वाली हर चिंगारी को शोला बनने से पहले ही बुझा दिया जा सकी।
ये उस वक़्त मुम्किन(संभव) है जब उमत मुस्लिमा इत्तिहाद-ओ-यकजहती का अमली सबूत देते हुए दुश्मनाँ इस्लाम और इंसानियत के आगे आहनी दीवार बनी। सदर मर्कज़ी अंजुमन सफ़ीर हज़रत इमाम हुसैन हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील की शहादत के सिलसिले में मातमी अंजुमनों से वाबस्ता नौजवानों की जानिब से मनाए गए यौम हज़रत मुस्लिम के मौक़ा पर इन ख़्यालात का इज़हार किया।
जनाब शौकत ने अक़्ता आलिम खासतौर पर मुस्लिम ममालिक के हालात का अहाता करते हुए हज़रत अली इबन अबी तालिब के ख़ुत्बे का हवाला देते हुए कहाकि मौलाए कायनात(जगत) ने फ़रमाया कि ख़ुदा की क़सम मुझे गुमान है कि ये लोग तुम से ताक़त इख़तियार छीन लेंगे कि ना अपने बातिल पर मुत्तहिद और तुम हक़ पर बिखरे हुए हो। आज इस्लाम के ख़िलाफ़ आलमी कुफ्र तो मुत्तहिद(मित्रधर्मी) है और हम मसलकी इख़तिलाफ़ात() का शिकार हैं।