उर्दू मीडियम इक़ामती जूनीयर कॉलिजस में मुस्लिम तलबा-ए-दाख़िलों से महरूम

हैदराबाद।२८ अगस्त (नुमाइंदा ख़ुसूसी अब्बू अमल) सारे हिंदूस्तान में अगर कोई तबक़ातालीमी-ओ-मआशी लिहाज़ से इंतिहाई पसमांदा है तो वो मुस्लमान हैं। ज़िंदगी के हर शोबा में ये दीगर अब्ना-ए-वतन से बहुत पीछे हैं। मुल्क में हज़ारहा बरस हुकूमत करने वाले मुस्लमानों की कसमपुर्सी और पसमांदगी का ये हाल है कि वो हर शोबा में फ़िर्कापरस्ती के ज़हर से आलूदा ज़हनों के हामिल और तास्सुब-ओ-जांबदारी की बीमारीयों में मुबतलाओहदेदारों की तंग ज़हनी का शिकार बने हुए हैं जबकि हुकूमतें मुस्लमानों की फ़लाह-ओ-बहबूद की मुख़्तलिफ़ असकीमात-ओ-प्रोग्राम्स का वाअदा करते हुए इस ज़िमन में ऐलानात भी कर देती हैं लेकिन अमल आवरी का जब वक़्त आता है तो फ़िकऱ्ापरस्त ओहदादार रुकावट बन जाते हैं।

मुख़्तलिफ़ हीले बहानों के ज़रीया अक़ल्लीयतों को तरक़्क़ी के समरात से रोका जाता ही, हालाँकि वो इस हक़ीक़त से बिलकुल वाक़िफ़ हैं कि आज़ादी के बाद मुस्लमान इंतिहाई पसमांदा होगए हैं और मुल़्क की सब से बड़ी अक़ल्लीयत की तरक़्क़ी के बगै़र हिंदूस्तान की तरक़्क़ी-ओ-ख़ुशहाली का तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता।

अगर देखा जाय तो तालीमी शोबा या महिकमा तालीम हर किस्म के तास्सुब से पाक होना चाहीए लेकिन अफ़सोस के आज आंधरा प्रदेश में ऐसे मुतअस्सिब और फ़िकऱ्ापरस्त ओहदेदार मौजूद हैं जिन्हें उर्दू और मुस्लमानों की तरक़्क़ी एक नज़र नहीं भाती। ऐसा लगता है कि मुस्लिम तलबा-ए-को पढ़ते लिखते देख कर उन के सीनों पर साँप लौट जाते हैं, ऐसा ही कुछ आंधरा प्रदेश रीसीडनशील जूनियर कॉलिजस बराए मुस्लिम अक़ल्लीयतों यानी उर्दू मीडियम रीसीडनशील जूनीयर कॉलिजस के साथ हो रहा है।

अक़ल्लीयती इदारों और उर्दू तंज़ीमों के मुताबिक़ आंधरा प्रदेश रीसीडनशील एजूकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सोसाइटी के सैक्रेटरी और दीगर मुतअस्सिब ओहदेदारों के बाइस रियासत के चार इलाक़ों में क़ायम किए गए उर्दू मीडियम इक़ामती जूनीयर कॉलिजस में मुख़्तलिफ़ बहानों से उर्दू मीडियम तलबा-ए-को दाख़िलों से महरूम करदिया गया चूँकि उर्दू मीडियम में कोई मुसाबक़त नहीं ही, इस लिए इन कॉलिजस में उर्दू मीडियम तलबा-ए-को बाआसानी दाख़िले मिल जाया करते थे लेकिन साल 2008-ए-से APRJC-CET आंधरा प्रदेश रीसीडनशील जूनीयर कॉलिजस कॉमन ऐंटरैंस टसट शुरू किया गया।

इस टेस्ट का मक़सद दरअसल उर्दू मीडियम तलबा-ए-को इन कॉलिजों में दाख़िलों से रोकते हुए उर्दू मीडियम कॉलिजस को बरख़ास्त करना था और इसख़तरनाक साज़िश के ज़रीया फ़िकऱ्ापरस्त और उर्दू दुश्मन ओहदा दारों ने हुकूमत को भीगुमराह किया। आप को बतादें कि तलगो देशम दौर-ए-हकूमत में एक सरकारी हुक्मनामा183 मौरर्ख़ा 10-7-1997 जारी करते हुए उर्दू मीडियम के ज़रीया तालीम हासिल करने वालेग़रीब मुस्लिम तलबा-ए-केलिए चार उर्दू मीडियम इक़ामती जूनीयर कॉलिजस क़ायम किए गए थी। ये कॉलिजस साहिली आंधरा के गुंटूर, राइलसीमा के कुरनूल, तलंगाना के निज़ामआबाद और हैदराबाद में क़ायम किए गए थे और उन कॉलिजस मैं बिलतर्तीब सुरेका कलिम, वजए नगरम, विशाखापटनम, मशरिक़ी गोदावरी, मग़रिबी गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर, प्रकाशम, नैलोर, चित्तूर, अनंत पुर, कड़पा, कुरनूल, वरनगल, खम्मम, आदिल आबाद,निज़ाम आबाद, करीमनगर, महबूबनगर, नलगनडा, मीदक, सिंगा रेड्डी और हैदराबाद सेताल्लुक़ रखने वाले उर्दू मीडियम के तलबा-ए-को दाख़िले दिए जाते थी।

साल 2008-ए-तक हर साल एम पी सी, बी पी सी, सी ई सी ग्रुपस से इंटरमीडीयेट साल अव्वल-ओ-दोम मेंजुमला 920 तलबा-ए-उर्दू मीडियम से तालीम हासिल कररहे थे लेकिन अफ़सोस के साल 2008-ए-के बाद से मुस्लिम तलबा-ए-केलिए एक तरह से उन कॉलिजस के दरवाज़े बंद करदिए गई। चंद फ़िकऱ्ापरस्त आला ओहदेदारों ने एक साज़िश के तहत इन कॉलिजों मेंदाख़िला केलिए APRJC-CET को लाज़िम क़रार दिया जिस के नतीजा में उर्दू मीडियम तलबा-ए-के दाख़िले मस्दूद होगई। 1998ए- से लेकर 2008-ए-तक तो सब कुछ ठीक रहा। इसी मुद्दत के दौरान ऐस एससी में हासिल करदा निशानात की बुनियाद पर दाख़िले दिए जाते थे और प्रिंसिपलस को पूरी ज़िम्मेदारी तफ़वीज़ की गई थी।

ऐंटरैंस टसट का बहाना बनाकर 2008-ए-से अंग्रेज़ी मीडियम तलबा-ए-को दाख़िले देने शुरू किए गए ओहदा दारों की इस ग़ैर जमहूरी और उर्दू दुश्मनी पर मबनी हरकत के ख़िलाफ़ कई मुस्लिम तंज़ीमों और सयासी क़ाइदीन ने चीफ़ मिनिस्टर और वज़ीर-ए-ताअलीम से नुमाइंदगी भी की, पर फ़िकऱ्ापरस्त ओहदेदारों पर इन नुमाइंदगियों का कोई असर नहीं हुआ। हद तो ये है कि साल 2012-ए-में उर्दू मीडियम अक़ल्लीयती इक़ामती जूनीयर कॉलिजस में मुस्लिम और उर्दू मीडियम तलबा-ए-को दाख़िले देने की बजाय ग़ैरमुस्लिम तलबा-ए-को अंग्रेज़ी मीडियम के नाम पर दाख़िले दे दिए गए और मुस्लिम तलबा-ए-को हक़ तालीम से यकसर महरूम कर दिया गया।

ओहदेदारों के इस ग़ैर ज़िम्मा दाराना-ओ-ग़ैर जमहूरी इक़दाम के ख़िलाफ़ तलंगाना उर्दू टीचर्स एसोसी उष्ण के कारगुज़ार सदर मुहम्मद मसऊद उद्दीन अहमद ने चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी से शख़्सी तौर पर मुलाक़ात करते हुए तहरीरी नुमाइंदगी भी की, जिस पर APREIS के सैक्रेटरी गोपाल रेड्डी ने मुबय्यना तौर पर इंतिहाई मक्कारी से काम लेते हुए वाज़िह किया कि वो उर्दू मीडियम को बर्ख़ास्त करना नहीं चाहते बल्कि उर्दू मीडियम के साथ साथ अंग्रेज़ी मीडियम भी चलाना चाहते हैं।

अफ़सोस सद अफ़सोस के उर्दू मीडियम और मुस्लिम अक़ल्लीयती तलबा-ए-केलिए क़ायम किए गए इन कॉलिजस मैं जारीया साल एक भी उर्दू मीडियम का तालिब-ए-इल्म दाख़िला ना ले सका। इस से बढ़ कर ओहदेदारों की उर्दू दुश्मनी और क्या होसकती ही। हद तो ये है कि उर्दू मीडियम इक़ामती जूनियर कॉलिजस की बगै़र नशिस्तों को भी अंग्रेज़ी मीडियम तलबा-ए-से पर किया जा रहा ही। अक़ल्लीयतों की बेचैनी को देखते हुए आंधरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सैक्रेटरी रज़ा हुसैनआज़ाद ने परनसपाल सैक्रेटरी माइनारीटी डिपार्टमैंट से तहरीरी नुमाइंदगी की जिस पर परनसपाल सैक्रेटरी ने APREIS के सैक्रेटरी गोपाल रेड्डी को उन के इजलास पर पेश होने और इस ग़ैर माक़ूल इक़दाम की वज़ाहत करने की हिदायत दी ।

दूसरी जानिब मुहम्मदमसऊद उद्दीन अहमद तलंगाना उर्दू टीचर्स एसोसी उष्ण के कारगुज़ार सदर के इसरार पर परनसपाल सैक्रेटरी स्कूल एजूकेशन राजेश्वर तीवारी ने इस मसला का तफ़सीली जायज़ा लिया और आइन्दा साल से उर्दू मीडियम तलबा-ए-केलिए दाख़िला टसट के लज़ूम को बर्ख़ास्त करने का तीक़न दिया। राजेश्वर तीवारी ने वाज़िह तौर पर कहा कि जब दाख़िलों केलिए मुसाबक़त ही नहीं है तो फिर दाख़िला टसट मुनाक़िद करने का क्या फ़ायदा।

माहिरीन तालीम और अक़ल्लीयती क़ाइदीन के ख़्याल में दस्तूर हिंद में अक़ल्लीयतों को आर्टीकल 29 और 30 के ज़रीया हक़ तालीम अता किया गया और अक़ल्लीयतों के ज़बानों के तहफ़्फ़ुज़ की ज़मानत फ़राहम की गई लेकिन सैक्रेटरी APREIS गोपाल रेड्डी के इक़दामात दस्तूर हिंद की मज़कूरा दफ़आत की सरासर ख़िलाफ़वरज़ी ही। साथ ही गोपाल रेड्डी ने अपनी ज़िद , हिट धर्मी और उर्दू दुश्मनी के ज़रीया सरकारी हुक्मनामा 183-ए-मौरर्ख़ा 10-7-1997 की भी ख़िलाफ़वरज़ी करते हुए अक़ल्लीयतों के तालीमी हुक़ूक़ को नुक़्सान पहूँचा या ही। मुस्लिम तंज़ीमों और क़ाइदीन के इलावा माहिरीन तालीम का मुतालिबा है कि जिस तरह APREIS के तहत पसमांदा तबक़ात के तलबा-ए-केलिए चलाए जाने वाले 45 इक़ामती स्कूलों को बयाक वर्ड क्लास वीलफ़ीर डिपार्टमैंट के तहत करदिया गया है।

इसी तरह चीफ़ मिनिस्टर फ़ौरी हरकत में आते हुए उर्दू मीडियम मुस्लिम अक़ल्लीयती इक़ामती स्कूलस-ओ-कॉलिजस को महिकमा अक़ल्लीयती बहबूद के तहत मुंतक़िल करदें ताकि मुस्तक़बिल में इन अक़ल्लीयती इदारों के मुफ़ादात के तहफ़्फ़ुज़ कोयक़ीनी बनाया जा सकी। वाज़िह रहे कि रियासत में 4 उर्दू मीडियम इक़ामती जूनीयर कॉलिजस और 12 उर्दू मीडियम इक़ामती हाई स्कूलस हैं और तमाम के तमाम APREIS के तहत चलाए जा रहे हैं, लेकिन चंद तंग ज़हन ओहदा दारों के बाइस मुस्लिम तलबा-ए-हुसूल-ए-ताअलीम से महरूम हो रहे हैं। रियास्ती हुकूमत , महिकमा अक़ल्लीयती बहबूद, वज़ीर-ए-क़लीयती बहबूद और सयासी-ओ-समाजी तंज़ीमों को हरकत में आते हुए इससंगीन मसला को हल करना चाहिए ।