ख़ातून जन्नत सय्यदा फ़ात‌मा अलज़हराओ किरदार-ओ-अमल में बेमिसाल

हैदराबाद ०‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍४ सितंबर : सरकार दो आलम ई की चहेती और महबूब शहज़ादी , ख़ातून जन्नत , सीदৃ फ़ातमৃ अलज़हराओ के बेशुमार फ़ज़ाइल हैं । दो आलम के ताजदार सय्यद इबरार सय्यदना मुहम्मद रसूल अल्लाह ई ने इरशाद फ़रमाया किफ़ातिमा मेरे गोश्त का एक टुकड़ा है ।

जिस ने फ़ातिमा को ग़ज़बनाक क्या इस ने मुझेग़ज़बनाक किया । ( बुख़ारी-ओ-मुस्लिम ) । वो शहज़ादी कौनैन ओ जिस ने रिदाए मुबारक फ़रोख़त कर के साइल का सवाल पूरा किया जो हाथ से चक्की पीसती थीं , ज़बान सेतिलावत कलाम पाक और पैरों से हज़रात हसनैन करीमीनओ का झूला झुलाया करती थींहूरान-ए-बिहिश्त और मलाइका मुक़र्रबीन जिस के फ़रमान के मुंतज़िर थे मगर इस ने अपनी रज़ा को , रज़ाए शौहर में गुम कर दिया था ।

जब नमाज़ पड़तीं तो आँख से अशकरवां होते जिस के आंसूओ को सय्यदना जिब्रईल आ ने मोतीयों की तरह चुन कर अर्शबरीं पर बिखेर दिया था । जिस की तारीफ़ का हक़ कोई अदा किया और ना ही क़ियामत तक कोई अदा करसकता है । हुज़ूर अक़दऐ का इरशाद है कि ये सीदৃ निसा-ए-अलालमीन ( तमाम जहां की औरतों की सरदार ) हैं ।

जिस ने मेरी शहज़ादी सय्यदा फ़ातमहओ कोनाराज़ क्या इस ने मुझे नाराज़ क्या । 2 हमें हज़रत अली शेर ख़ुदाओ से उन का निकाह हुआ । ख़साइस कुबरा स 45 पर साहिब तसनीफ़ ने लिखा कि सय्यदा फ़ातिमा ओ जिस की सवारी मैदान मह्शर में आएगी तो मुनादी निदा करेगा कि ए अहल मह्शर अपनी निगाहें नीची करो कि बिंत रसोलऐ यहां से गुज़रने वाली हैं । गुज़रने का अंदाज़ भी कुछ ऐसा होगा कि सत्र हज़ार हूरों की झुरमुट में पल्सर अत से ऐसी गुज़र जाएगी जैसे बिजली कुविन्द जाती है । ( फ़ज़ाइल अहलबीत बाब ख़ातून जन्नत ) सय्यदा फ़ातिमा ओ ने इस्लाम की नशर-ओ-इशाअत में भरपूर हिस्सा लिया ।

जंग अह्द में ना सिर्फ शरीक रहें बल्कि मुजाहिदीन इस्लाम को पानी पिलाने की ख़िदमत पर मामूर हुईं । सीरत निगारों ने लिखा कि हज़रत सय्यदा फ़ातमहओ पर्दा की निहायत और हद दर्जा हयादार थीं । तमाम उम्र आप ने पर्दा का एहतिमाम फ़रमाया और ख़ुद को ग़ैर मुहर्रम की नज़र से महफ़ूज़ रखा ।

आप ने वसीयत फ़रमाई थी कि मेरे जनाज़ा को खजूर के शाख़ों के ज़रीया कपड़ा डाल कर छिपा दिया जाय । तदफ़ीन रात में हो ताकि किसी ग़ैर मर्द की नज़र मेरे जनाज़ा पर ना पड़ सके । इस वसीयत पर ख़वातीन ग़ौर-ओ-फ़िक्र करें कि सय्यदा फ़ातमৃ अलज़हराओ बाद विसाल पर्दा का ऐसा एहतिमाम फ़र्मा रही थीं तो ऐन हयात में पर्दादारी का क्या आलम होगा ।

फ़ी ज़माना औरतों का पर्दा ख़तन होता जा रहा है , औरतें , यहूद-ओ-नसारा केनक़श-ए-क़दम पर चल रही थीं , हुस्न की बाज़ारों में नुमाइश होरही है , सय कारीयों के रास्ते खुल रहे हैं । ऐसे पर आशूब माहौल में हमें सय्यदा फ़ातमता अलज़हराओ के नक़श-ए-क़दम पर चलने की सख़्त ज़रूरत है । मदीना के ताजदार , अहमद मुख़तार सय्यदआलिम ई के विसाल फ़रमाने का आप को इस क़दर सदमा हुआ कि इस सानिहा अज़ीम के बाद आप कभी हंसती हुई नज़र ना आएं ।

यहां तक कि विसाल रसूल के छः माह बाद तीन 3 रमज़ान उल-मुबारक 11 हक़ो बॉमर 28 साल राही मुलक बक़ा हुईं । हज़रत सय्यदना अबासओ ने आप की नमाज़ जनाज़ा पढ़ाई और जन्नतुल बक़ी ( मदीना मुनव्वरा का मशहूर क़ब्रिस्तान ) में तदफ़ीन अमल में आई । आप की मज़ार पाक आज भी मरज्जाख़लाइक़ है ।।