हैदराबाद ०४ दिसंबर : साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म जनाब अंदर कुमार गुजराल का इंतिक़ाल सारे मुलक बिलख़सूस अहल उर्दू के लिए एक नाक़ाबिल तलाफ़ी नुक़्सान ही। उन्हों ने उर्दू ज़बान की तरक़्क़ी-ओ-तरवीज के हवाले से क़ौमी उफ़ुक़ पर अनमिट नुक़ूश छोड़े हैं।
आज़ाद हिंदूस्तान में उर्दू की पहली क़ौमी जामिआ मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के अव्वलीन चांसलर की हैसियत से वो नुमायां ख़िदमात अंजाम दे चुके हैं। प्रोफ़ैसर मुहम्मद मियां वाइस चांसलर उर्दू यूनीवर्सिटी ने अपने एक ताज़ियती पयाम में गुजराल साहिब को उर्दू का सच्चा बही ख़ाह और प्रुस्तार क़रार दिया।
वो उर्दू तहज़ीब की नुमाइंदा शख़्सियत थी। 1970ए- की दहाई में फ़रोग़ उर्दू के लिए क़ायम करदा गुजराल कमेटी के सरबराह की हैसियत से गुजराल साहिब ने जो सिफ़ारिशात पेश की थीं वो उर्दू की तरक़्क़ी और तालीमी सक़ाफ़्ती और इंतिज़ामी उमूर में अहल उर्दू को मुनासिब सहूलतों की फ़राहमी में दूर रस असरात की हामिल साबित हुईं।
इन ही सिफ़ारिशात के माबाद नताइज के तौर पर मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी के क़ियाम का मंसूबा बना गया गया था। प्रोफ़ैसर मुहम्मद मियां ने याद ददुल्ला या कि गुजराल साहिब 24 मई 1999-ए-को उर्दू यूनीवर्सिटी के अव्वलीन चांसलर मुक़र्रर हुई। तक़र्रुरी के चंद माह बाद 24 अक्तूबर 1999-ए-को उन्हों ने यूनीवर्सिटी का दौरा किया था।
9 जनवरी 2001-ए-को यूनीवर्सिटी की तक़रीब यौम तासीस में जो में मुनाक़िद हुई थी वो कुलदीप नय्यर और जस्टिस ए ऐम अहमदी के हमराह शरीक हुई। इसी साल 25 नवंबर को दिल्ली में यूनीवर्सिटी की जानिब से यौम आज़ाद तक़रीब का अज़ीमुश्शान पैमाने पर इनइक़ाद अमल में आया था।
उस वक़्त के सदर जमहूरीया हिंद जनाब के आर नारायण मेहमान-ए-ख़ुसूसी थी। गुजराल साहिब ने इस यादगार तक़रीब की सदारत की थी। गुजराल साहिब ने 28 दिसंबर 2002-ए-को यूनीवर्सिटी कैंपस वाक़्य गुच्ची बाउली हैदराबाद में तामीर करदा पहली पर शिकवा इमारत एडमनसटरीटो बिल्डिंग का इफ़्तिताह अंजाम दिया था।
वो हमेशा उर्दू यूनीवर्सिटी की तरक़्क़ी के लिए फ़िक्रमंद रहती। नौख़ेज़ जामिआ के क़ियाम के इबतिदाई अय्याम में उन की मुशफ़िक़ाना सरपरस्ती के समर आवर नताइज को यूनीवर्सिटी अर्बाब और तलबा की आने वाली नसलें अर्से तक याद रखेंगी। यूनीवर्सिटी के अव्वलीन वाइस चांसलर प्रोफ़ैसर मुहम्मद शमीम जीराजपोरी से गुजराल साहिब का ताल्लुक़-ए-ख़ातिर रहा है।
प्रोफ़ैसर जीराजपोरी ने भी गुजराल साहिब के सानिहा इर्तिहाल पर दिल्ली ताज़ियत का इज़हार करते हुए कहा कि उर्दू यूनीवर्सिटी और उर्दू ज़बान एक हक़ीक़ी सरपरस्त से महरूम हो गए हैं।