हैदराबाद ०७। अगस्त : ( रास्त ) : उलूम इस्लामीया की अज़ीम दीनी दरसगाह जामिआनिज़ामीया मुसलसल 141 साल से इलम-ए-दीन की इशाअत और मिल्लत-ए-इस्लामीया कीदीनी रहबरी में शब-ओ-रोज़ मसरूफ़ है । जामिआ निज़ामीया से उल्मा किबार पैदा हुए जो अपने इलमी कारनामों दरस-ओ-तदरीस , मवाइज़-ओ-नसाइह , तसनीफ़-ओ-तालीफ़ और तसहीह-ओ-तालीक़ के ज़रीया हिंद-ओ-बैरून हिंद इस्लाम और मुस्लमानों की बेलौस ख़िदमात अंजाम देते आ रहे हैं ।
इन उल्मा ने इख़लास , यकसूई और सच्ची लगन से तदरीस-ओ-तालीम के फ़राइज़ अंजाम दीए । दीगर ममालिक के लाखों तलबा-ए-ने भी यहां से इकतिसाब-ए-इलम क्या । वक़्त और असरात के लिहाज़ से हिंदूस्तान का जामिआअज़हर कहा जाय तो बेजा ना होगा । जामिआ निज़ामीया दूर जदीद में मग़रिबी तहज़ीब कीयलग़ार में देनी तहज़ीब और इलमी विरसा का मुहाफ़िज़ साबित हुआ ।
अल्हम्दुलिल्ला जामिआ निज़ामीया 125 साला जश्न के मौक़ा पर बामक़सद दस नकाती तरक़्क़ीयाती प्रोग्राम का ऐलान किया था जिस में अहम तरीन कलीता अलबनात ( लड़कीयों का कॉलिज ) का क़ियाम था अल्हम्दुलिल्ला इस कॉलिज का क़ियाम अमल में लाया । क़ाज़ी पूरा में एकवसीअ जदीद तरीन इमारत में ये कॉलिज क़ायम है ।
यहां 400 से ज़ाइद तालिबात आलीदीनी तालीम हासिल कररही है । आख़िर में मेरी मिल्लत-ए-इस्लामीया से अपील है किजामिआ निज़ामीया के तआवुन के लिए आगे आएं । जामिआ निज़ामीया शिबली गंज में माह रमज़ान उल-मुबारक में सुबह 7 बजेता 5 बजे शाम रक़ूमात जमा कर सकते हैं या फ़ोन नंबर 24503267 । 24576772 । 24416847 पर मतला करें तो कारकुन आकर रक़म हासिल कर लेगे