हैदराबाद २४ अगस्त ( सियासत न्यूज़ ) शहर में ट्रैफ़िक पुलिस हर नई पालिसी और क़ानून को शहरीयों केलिए कम और अपने फ़ायदा केलिए ज़्यादा इस्तिमाल करने में दिलचस्पी रखती है । नई तर्ज़ की नंबर प्लेट हो या फिर ग़ैर मजाज़ पार्किंग लाईन हो या फिर गाड़ी के दस्तावेज़ात हर मौक़ा को ग़नीमत जान कर इस से अपनी जेबें भरना ट्रैफ़िक पुलिस का फ़ित्री अमल बन गया है । इस शोबा से वाबस्ता होम गारडज़ इस काम में अहम रोल अदा करते हैं ।
शहर का कोई ऐसा शहरी नहीं जो उन की हरकतों से बदज़न ना हो । अब तो ट्रैफ़िक अमला लूट मार की पालिसी पर उतर आया है । शहर में ट्रैफ़िक पुलिसअमला की हिट धर्मी और लौट मार पालिसी के कई वाक़ियात सामने आए हैं । पुलिस का ये तरीका-ए-कार होता है कि वो अपनी दिन भर की पालिसी को तैय्यार करलेते हैं और इस पर किसी भी सूरत में अमल किया जाता है । ट्रैफ़िक पुलिस पर इल्ज़ामात हैं कि आला ओहदेदार ट्रैफ़िक पालिसी के साथ अपनी एक पाकेट भरो पालिसी तैय्यार करलेते हैं जिस के तहत सरकारी खज़ाने को भरने के निशाने के इलावा अपने खज़ाने को भरने का निशाना भी पूरा किया जाता है । ट्रैफ़िक पुलिस के होमगार्ड तो शोबा से ज़्यादा आली ओहदेदारों के होम गारडज़ बन गए हैं ।
कलैक्शन जमा करना और हिसाब किताब अपने यहां रखने के इलावाओहदेदार की जानिब से निशानदेही करदा मुक़ाम पर इस रक़म को रखा जाता है । ट्रैफ़िक पुलिस के इस तरह के रवैय्या ने जहां आम शहरीयों का जीना मुश्किल करदिया है वहीं दूसरी तरफ़ ट्रैफ़िक जाम का मसला संगीन होगया है । सरकारी और अपने खज़ाने को भरने में मसरूफ़ ट्रैफ़िक अमला ने ट्रैफ़िक जाम से अपनी तवज्जा एक हद तक हटाली है ।
सितम ज़रीफ़ी ये कि जब तमाम दस्तावेज़ात रहने के बावजूद शहरीयों को हुर्रा सानी का सामना है । आला ओहदेदारों की जानिब से खुली छूट दीए जाने के बाद होम गारडज़ और जवानों के हौसले इस क़दर बुलंद होगए हैं कि अब वो किसी भी गाड़ी को छोड़ने तैय्यार नहीं । गुज़शता साल के आख़िर में ऐसा ही एक वाक़िया पंजा गट्टा पुलिस स्टेशन हदूद में पेश आया था । जहां एक ट्रैफ़िक होमगार्ड ने रास्त एक आई पी ऐस ओहदेदार की अहलियासे एक सौ रुपय रिश्वत वसूल किए थे । इस वाक़िया ने ट्रैफ़िक पुलिस के इलावा पुलिस के तमाम शोबों में हलचल मचा दी थी ।
हुआ यूं थाकि पंजा गट्टा चौराहे पर एक कार ने ज़ीबरा क्रासिंग को उबूर करलिया । दूर से इस क्रासिंग पर नज़र रखे ट्रैफ़िक होमगार्ड ने कार को रोक लिया । ड्राईवर होमगार्ड को आगाह कररहा था कि अंदर साहिब की बीवी हैं । डी सी पी की बीवी लेकिन रक़म हड़पने और ओहदेदारों की पुश्तपनाही के निशा ने होमगार्ड पर असर नहीं किया । इस दौरान इस ओहदेदार की बीवी जो शहर में डी सी पी की ख़िदमात अंजाम दे चुका है ड्राईवर को इशारा किया और चालान अदा करने का मश्वरा दिया लेकिन होमगार्ड ने चालान के बजाय एक सौ रुपय रिश्वत देने की बात की जिस पर एस आई पी ऐस ओहदेदार की बीवी ने रजामंदी ज़ाहिर करके एक सौ की नोट पर अपनी कार का नंबर लिख दिया और नोट को ट्रैफ़िक होमगार्ड के हवाले कर दिया ।
होना किया था फिर बड़े पैमाने पर उस की तहक़ीक़ात करवाई गई और ऐडीशनल कमिशनर ट्रैफ़िक ने भी इस का नोट लिया था । ट्रैफ़िक पुलिस का हर मुलाज़िम-ओ-ओहदेदार कोई भी अब रिश्वतखोरी बदउनवानीयों और लौट मार के इल्ज़ामात से नहीं बचा और अवाम की नज़र में इन की हरकतों ने उनके वक़ार को मुतास्सिर कर दिया ।
इन का तरीका-ए-कार ये है कि वो पहले गाड़ी को रोकते हैं और जब थोड़ी देर के बाद इस गाड़ी वाले से रक़म हड़पने का इरादा करलेते हैं तो मंसूबे के मुताबिक़ दूसरा होमगार्ड या पुलिस जवान आजाता है और अपने रिवायती अंदाज़ में बड़ी आवाज़ से बात करते हुए साहिब के पास जाने को कहता है ।
इस अंदाज़ के बाद किसी एक चीज़ की कमी से शहरी मनाने पर उतर आते हैं तो उन से डरा धमकाकर रक़म हड़प ली जाती है और उन्हें परेशान कर के छोड़ दिया जाता है । अगर किसी शहरी के यहां तमाम दस्तावेज़ात मौजूद हूँ और क़वाइद की पाबंदी कररहा तो तब भी उसे किसी ना किसी दफ़ा की ख़िलाफ़वरज़ी का क़सूरवार बताकर जुर्माना आइद करदिया जाता है और वज़ाहत तलब करने पर उसे मज़ीद परेशान किया जाता है ।
ट्रैफ़िक पुलिस के इस रवैय्या से अवाम की ब्रहमी में दिन बह दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है लेकिन ट्रैफ़िक पुलिस सुधरने का नाम नहीं लेती ।ट्रैफ़िक पुलिस में आमदनी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जाता है कि कांस्टेबल हैड कांस्टेबल्स और सब इन्सपैक्टर अन्न भी ट्रैफ़िक पुलिस में तबादला के लिए कई तरह की सिफारिशें करवाते हैं।