नाज़िर रबात मक्का उल-मुकर्रमा की ऑनलाइन क़ुरआ अंदाज़ी (पांसा फेकना )

हैदराबाद । १४अगस्त : रियास्ती वज़ीर औक़ाफ़ मुहम्मद अहमद अल्लाह के साथ टेलीफ़ोन पर बातचीत के बाद नाज़िर रबात निज़ाम हैदराबाद ने इस बात की तसदीक़ की है कि हज 2012 के लिए नाज़िर की जानिब से रबात निज़ाम हैदर आबिद केलिए की गई क़ुरआ अंदाज़ी क़तई होगी जब कि किसी दीगर क़ुरआ अंदाज़ी की कोई क़ानूनी हैसियत नहीं होगी और नाक़ाबिल-ए-क़बूल होगी । इस बात की भी वज़ाहत की गई है कि रबातनिज़ाम हैदराबाद बिलकुल्लिया तौर पर वक़्फ़ है जब कि ऐच ई अच्दी निज़ाम हशतुम ने इस को रॉयल कोर्ट आफ़ मक्का उल-मुकर्रमा के तहत रजिस्टर्ड किया है ।

नाज़िर जनाबशरीफ़ मुहम्मद मरहूम ने मक्का उल-मुकर्रमा , सऊदी अरबिया के रॉयल कोर्ट में निज़ामवक़्फ़ को निज़ाम हशतुम की जानिब से रजिस्टर्ड किया था । निज़ाम वक़्फ़ की मुकम्मलज़िम्मेदारी सऊदी क़ानून के मुताबिक़ होगी और नाज़िर को सऊदी शहरी होना चाहीए और सऊदी रॉयल कोर्ट की जानिब से सोला साल क़बल मुक़र्रर करदा सऊदी क़वानीन के तहत काम अंजाम देने होंगे । उन्हें शर्त इल्ल वकीफ़ यानी बानी के शराइत के तहत काम अंजाम देने होंगे ।

रॉयल कोर्ट को पेश करदा दस्तावेज़ात के मुताबिक़ जो कि बानी की जानिब से पेश किए गए हैं शराइत के मुताबिक़ साबिक़ रियासत निज़ाम से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन-ए-हज्ज को मुफ़्त रिहायश फ़राहम की जाय और उन्हें बहुत ज़्यादा काबिल-ए-एहतिराम समझा जाय । नाज़िर रबात निज़ाम हैदराबाद की जानिब से इस बात की वज़ाहतकी गई है कि ऑनलाइन शफ़्फ़ाफ़ क़ुरआ अंदाज़ी जो कि नाज़िर की जानिब से अंजाम दी गई है वही क़तई है और इस सिलसिला में कोई भी दीगर मुक़ामी हैदराबादी कमेटीयों की कारकर्दगी काबिल-ए-क़बूल नहीं होगी ।

मुक़ामी ऐच ई अच्दी निज़ाम औक़ाफ़ कमेटीयों कीजानिब से इस मुआमला में मुदाख़िलत गै़रक़ानूनी है । लिहाज़ा हुसैन मुहम्मद अलशरीफ़ वलद शरीफ़ मुहम्मद रॉयल कोर्ट मक्का उल-मुकर्रमा के तक़र्रुर करदा क़ानूनी नाज़िर वक़्फ़ निज़ाम हैदराबाद ने ऐलान किया है कि इन का हैदराबाद मुक़ामी ऐच ई अच्दी निज़ामऔक़ाफ़ कमेटी से अब कोई उल-हाक़ नहीं है ।

लिहाज़ा साबिक़ रियासत निज़ाम से उमराऔर हज पर आने वाले आज़मीन केलिए मक्का उल-मुकर्रमा में रिहायश सिर्फ़ ऑनलाइन पर होगी और इस में मुक़ामी हैदराबाद ऐच ई अच्दी औक़ाफ़ कमेटी का कोई अमल दख़ल नहीं होगा । नाज़िर रबात निज़ाम हैदराबाद सऊदी अरबिया ने ज़राए इबलाग़ से गुज़ारिश की है कि वो आज़मीन-ए-हज्ज को ग़ैर ज़रूरी परेशानी से बचाने उस की वज़ाहत करें ।