निसाब और डिग्रियों की क़बूलीयत के निज़ाम में यकसानियत पर ज़ोर

हैदराबाद 23 फरवरी :निसाब और डिग्रियों की मंज़ूरी में क़ौमी सतह पर यकसाँ क़बूलीयत का निज़ाम होना चाहीए ताकि फ़ारग़ीन बगै़र किसी दुशवारी के आला यूनीवर्सिटीयों में दाख़िला ले सके ।

इस के इलावा अरबी ज़बान को मज़ीद आसान और आम बहम बनाने के लिए कोशिशें भी ज़रूरी हैं। इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी में शोबा-ए-अरबी के ज़ेर-ए-एहतिमाम मुनाक़िदा 2 रोज़ा समीनार बउनवान हिंदूस्तान में अरबी ज़बान की तदरीस : मुनाहिज और फ़रोग़ के इमकानात में माहिरीन ने किया।

21 फरवरी को इख़तताम को पहुंचे उस सैमीनार में हिंदूस्तान के मुख़्तलिफ़ हिस्सों से 45 मक़ाला निगारों ने शिरकत की। जिन में जामिआ मुलिया इस्लामीया दिल्ली यूनीवर्सिटी जवाहर लाल नहरू यूनीवर्सिटी कोलकता यूनीवर्सिटी न्यू कॉलिज चेन्नई कश्मीर यूनीवर्सिटी जामिआ उस्मानिया केराला यूनीवर्सिटी के नाम काबिल‍ ए ज़िक्र हैं।

प्रोफ़ैसर अबदालमाज़ सदर शोबा-ए-अरबी-ओ-डायरैक्टर समीनार के बमूजब इख़ततामी सैशन की सदारत प्रोफ़ैसर मुहम्मद मुस्तफ़ा शरीफ़ ने अंजाम दी। उन्हों ने अरबी ज़बान की तदरीस को असरी तक़ाज़ों से हम आहंग करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया । डाक्टर समीना ताबिश कोआर्डीनेटर सैमीनार ने रिपोर्ट पेश की।

डाक्टर जावेद नदीम नदवी ने तजावीज़ पेश कीं। डाक्टर सय्यद अलीम अशर्फ़ जाइसी ने मेहमानों का शुक्रिया अदा किया। जबकि निज़ामत के फ़राइज़ डाक्टर अबदुलक़ुद्दूस इंचार्ज लखनऊ कैंपस ने अंजाम दिये।

सऊदी सिफ़ारत ख़ाना नई दिल्ली के कल्चरल अताषी अली मुहम्मद अलशहरी ने इफ़्तिताही इजलास में बहैसीयत मेहमान-ए-ख़ुसूसी शिरकत-ओ-ख़िताब किया।