हैदराबाद २७नवंबर(सियासत न्यूज़ ) मौसिम-ए-सर्मा का आग़ाज़ हो चुका है और शाम होते ही ठंडी हवाओं ने सर्द मौसम की मौजूदगी का एहसास दिलाना शुरू कर दिया ही।लोगोँ ने गर्म मलबूसात और लिहाफ़ का इस्तिमाल शुरू कर दिया है ,जबकि दूसरी तरफ़ शहर में ऐसे हज़ारों बेघर अफ़राद हैं जो फ़्लाई ओवर्स , बस असटानड ,रेलवे स्टेशन ,चबूतरों फ़ुट पाथ और दीगर सरकारी मुक़ामात पर रात गुज़ारने पर मजबूर हैं उनके लिए किराए का छत भी किसी ख़ाब से कम नहीं ,सर्द मौसम के क़हर से बचने ,किसी नरम गुदाज़ बिस्तरों प्रसवने वाले लाखों अफ़राद की तरह नींद का लुतफ़ उठाना उनका भी ख़ाब है मगर कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के नीचे फुटपाथ के बिस्तर पर मौसम की बेरहमी का शिकार होना शायद उनका मुक़द्दर ही।
ये अफ़राद दुनिया की सब से बड़ी जमहूरी मुलक में अपने दिन रात इसलिए किसी ना किसी फुटपाथ पर गुज़ारते हैं कि उन के पास कोई ऐसी जगह नहीं जिसे वो घर कह सकीं। हैरत की बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसे बे घर अफ़राद के लिए तमाम रियास्ती हुकूमतों को नाइट शेल्टर क़ायम करने का हुक्म दिया है मगर वो हुकूमत ही किया जो अपनी बेहिसी छोड़कर संजीदगी से ऐसे किसी अहम तरीन मसाइल पर ग़ौर करी। ,
वाज़िह रहे कि ऐसे बेघर अफ़राद जो बस असटानड ,रेलवे स्टेशन ,फुटपाथ और दीगर सरकारी मुक़ामात पर रात गुज़ारने पर मजबूर हैं ,इनकी निशानदेही के लिए ग़ैरसरकारी तंज़ीमोंने पिछले साल अप्रैल में सर्वे किया था , इस सर्वे में जुमला दस एन जी औज़ ने हिस्सा लिया और दोनों शहरों में रात के औक़ात में सर्वे करते हुए ऐसे पाँच हज़ार अफ़राद की निशानदेही की थी ( जबकि हुकूमत के मुताबिक़ ऐसे बेघर अफ़राद की तादाद जुमला 4,463 ही) जिसमें लग भग 2000 के क़रीब ए फराद का ताक पुराने शहर से बताया गयाहै ।
सर्वे के बाद मजलिस बलदिया ने पहले 40 कमीवनीटी हाल की निशानदेही करते हुए कम अज़ कम 25 नाइट शेल्टर क़ायम करने का मंसूबा बनाया था मगर बाद में मुख़्तलिफ़ मसाइल का उज़्र करते हुए सिर्फ़ 12नाइट शेल्टर की मंज़ूरी दी गई थी जिसे पिछले साल दिसंबर के अवाख़िर तक क़ायम किया जाना था लेकिन ताहाल सिर्फ़ आठ शेल्टर क़ायम किए गए हैं जो फ़िलहाल सिकंदराबाद, अंबेडकर नगर,ख़ैरत आबाद,श्योराम पली, उप्पल,हफ़ीज़ पेट, यूसुफ़ गौड़ा और गोलकुंडा में वाक़्य हैं,जबकि मजलिस बलदिया की जानिब से जहां नए नाइट शेल्टर क़ायम करने के मंसूबे को क़तईयत दी गई है इन में ,मिला पर उप्पल, एल्बी नगर,दुबैर पूरा, चिन्तल बस्ती,गोली गौड़ा, क़ुतुब अल्लाह पर,मल्लिका जगीरी जैसे इलाक़े शामिल हैं ।
क़ब्लअज़ीं जारीया साल मजलिस बलदिया ने साल 2012-13के लिए जुमला 22नाइट शेल्टर क़ायम करने का मंसूबा बना या था ताहम मुताल्लिक़ा इलाक़ों के मुक़ामी अफ़राद की जानिब से इस एतराज़ के बाद कि उनके इलाक़े मेंउस तरह के अजनबी अफ़राद की आमद से ग़ैर समाजी सरगर्मीयों में इज़ाफ़ा होसकताहै , सिर्फ़ आठ मुक़ामात पर नाइट शेल्टर को क़तईयत दी जा सकी ही।दरअसल ऐसे बेघर अफ़राद जो कोई मिस्क़ल ठिकाना ,ना रखते हूँ ,वो राशन कार्ड ,हैल्थ कार्ड ,पेंशन कार्ड और दीगर सरकारी सहूलयात से भी महरूम रह जाते हैं,लहज़ज़रोरत इस बात की है कि उन्हें एक ठिकाना फ़राहम करते हुए उन्हें मुख़्तलिफ़ सरकारी सहूलतों से इस्तिफ़ादा करने के काबिल बनाया जाये ,उस को अमली जामा पहना ने के लिए शहर की दीगर समाजी ,फ़लाही और सयासी तंज़ीमों को आगे आना होगा ,ख़ास कर पुराने शहर में इस हवाले से काम करने की सख़्त ज़रूरत है जहां के अवाम हुकूमत की तंगनज़री के शिकार हैं।
ये हुकूमत की तंगनज़री और इमतियाज़ी सुलूक नहीं तो और किया है कि बेघर और मज़लूम ख़वातीन के लिए नए शहर में शॉर्ट असटे होम क़ायम किए गए हैं जबकि स्टरीट चिल्ड्रंस के लिए भी 2 चिल्डर्न शैड मौजूद हैं मगर पुराने शहर में ऐसे एक भी मराकज़ नहींहैं।इसी तरह एड्स के हवाले से नए शहर में सैंकड़ों सोसाइटियां सरगर्म अमल हैं मगर पुराने शहर में सिर्फ़ एक काबिल ज़िक्र सोसाइटी इस हवाले से काम कर रही है।
ज़रूरत इस बात की है हुकूमत ओराक़तदरा-ओ-इख़तियार रखने वाले अफ़राद अपने समाजी ज़िम्मा दारीयों का एहसास करें और बे सहारा-ओ-बेघर अफ़राद की फ़लाह बहबूद के लिए भी कुछ काम करें ता कि ऐसे हज़ारों अफ़राद का भला होसके