पुलिस के आला ओहदों पर अक़ल्लीयतों के तक़र्रुत में कोताही(लापरवाही)

हैदराबाद३१अक्टूबर, ( सियासत न्यूज़) शहर हैदराबाद और इस के मज़ाफ़ाती इलाक़ों में हालिया अर्सा में पेश आए फ़िर्कावाराना(धार्मिक‌) नौईयत(एक प्रकार‌) के वाक़ियात और पुरअमन फ़िज़ा-ए-को मुकद्दर करने की बार बार की गई कोशिशों से निमटने में पुलिस की नाकामी की एक अहम वजह महिकमा में अहम ओहदों पर अक़ल्लीयती ओहदेदारों के तक़र्रुत को नजरअंदाज़ करना है। गुज़श्ता चंद बरसों से शहर में सब इन्सपैक्टर से अस्सिटैंट कमिश्नर्स के ओहदों तक तक़र्रुत में अक़ल्लीयती ओहदेदारों को नजरअंदाज़ करने की शिकायात मिल रही हैं। बताया जाता है कि अहम ओहदों पर अक़ल्लीयती ओहदेदारों को नजरअंदाज़ किए जाने के सबब शरपसंद अनासिर को सर उभारने में मदद मिल रही ही। साबिक़ में ये रिवायत रही कि हस्सास इलाक़ों और खासतौर पर पुराने शहर में अहम मुक़ामात पर अक़ल्लीयती इदारों को ताय्युनात किया जाता रहा ताकि वो किसी भी सूरत-ए-हाल पर फ़ौरी क़ाबू पा सकें।

मुक़ामी अफ़राद से उन के बेहतर रब्त ज़बत को देखते हुए इन का तक़र्रुर किया जाता था लेकिन अब ग़ैर मुक़ामी अफ़राद और अवामी रब्त से दूर रहने वाले ओहदेदारों के तक़र्रुर के बाइस भी पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन और अमन-ओ-ज़बत की बरक़रारी मैं दुशवारी होरही है। महिकमा पुलिस के माहिरीन ने बताया कि साबिक़ में टास्क फ़ोर्स और ला ऐंड आर्डर में अक़ल्लीयती ओहदेदारों को अहम ज़िम्मेदारीयां दी जाती रहीं क्योंकि वो ना सिर्फ इलाक़ा से वाक़िफ़ थे बल्कि अवाम से भी इन का गहिरा रब्त था। लेकिन हालिया अर्सा में सूरत-ए-हाल मुकम्मल(पूरी) तौर पर तबदील होगई जिस का असर हालिया फ़िर्कावाराना नौईयत (एक प्रकार‌) के वाक़ियात की शक्ल में सामने आया ही।

अनटलीजनस और एसबी बरवक़्त शरपसंदों की सरगर्मीयों का पता चलाने में अमला नाकाम होचुकी हैं। पुलिस के एक आला ओहदेदार ने नाम शाय ना करने की शर्त पर बताया कि मुस्लिम अक़ल्लीयत के ओहदेदारों को उन की अहलीयत और सलाहीयत के एतबार से मौज़ूं ज़िम्मेदारीयां नहीं दी गईं। जब तक ए के ख़ां कमिशनर पुलिस रहे उन्हों ने फ़िकर्पऒरस्त ताक़तों और अमन को ख़तरा बनने वाली सरगर्मीयों को सख़्ती से कुचल दिया था लेकिन उन के तबादला के बाद पुलिस में ग़ैर जांबदाराना कार्यवाईयों को यक़ीनी बनाने केलिए आला सतह पर ला ऐंड आर्डर का नगर इनकार कोई अक़ल्लीयती ओहदेदार नहीं ही। ऐडीशनल कमिशनर की हैसियत से मिस्टर अहसन रज़ा का तक़र्रुर तो किया गया लेकिन उन्हें जराइम की ज़िम्मेदारी दी गई।

शहर का ला ऐंड आर्डर उन के तहत नहीं आता। कमिशनर पुलिस अनुराग शर्मा और जवाइंट कमिशनर कुआर्डीनेशन अमीत गारग ला ऐंड आर्डर के इंचार्ज होते हैं अगर किसी अक़ल्लीयती ओहदेदार को अमन-ओ-ज़बत की ज़िम्मेदारी दी जाती तो पुलिस की जानिब से एकतरफा कार्यवाईयों की शिकायात मंज़रे आम पर ना आतीं। हालिया दिनों में कई वाक़ियात में पुलिस की ख़ामोशी और मुबय्यना जांबदारी की शिकायात मिली हैं। खासतौर पर नवरात्री के मौक़ा पर बड़े जानवरों से मुताल्लिक़ कमिशनर पुलिस के जारी करदा प्रैस नोट ने अक़ल्लीयतों के जज़बात को मजरूह किया और इस का सहारा लेकर अश्रार ने शहर की फ़िज़ा-ए-को मुकद्दर करने की कोशिश की। माहिरीन का कहना है कि शहर में फ़िर्कावाराना नौईयत के बढ़ते वाक़ियात तशवीश(खोज‌) का बाइस हैं और ये पुलिस नज़म-ओ-नसक़ में अहम ओहदों पर मुस्लिम ओहदेदारों की कमी को ज़ाहिर करते हैं।

डिप्टी कमिशनर, अस्सिटैंट कमिशनर और इन्सपैक्टरस की सतह पर अक़ल्लीयती ओहदेदारों के तक़र्रुर की सूरत में मातहत अमला भी ग़ैर जांबदारी से ख़िदमात अंजाम देगा। मुशयरा बाद के हालिया वाक़िया में मुक़ामी अक़ल्लीयती तबक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले इन्सपैक्टर ने इंतिहाई मुस्तइद्दी(तत्परता) और चौकसी(सर्तकता) के साथ सूरत-ए-हाल पर फ़ौरी क़ाबू पालिया, अगर इसी तरह के ओहदेदारों का तक़र्रुर अमल में लाया जाय तो अश्रार को नुक़्स अमन का मौक़ा नहीं मिलेगा।