हैदराबाद ।१४ अगस्त : ( अब्बू अमल ) : शहर में रमज़ान उल-मुबारक के दौरान दीगर मुक़ामात से आए फ़क़ीरों की तादाद में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है । छत्तीसगढ़-ओ-दीगर मुक़ामात से रमज़ान के दौरान फ़क़ीरों के क़ाफ़िले हैदराबाद का रुख करते हैं । लेकिन इन फ़क़ीरों में से ऐसे फ़क़ीरों की अक्सरीयत होती है जो लोगों को जज़बाती ब्लैक मेल करते हैं इस तरह का हुल्या बना लेते हैं कि आप उसे ख़ैरात देने पर मजबूर हो जाते हैं ।
लेकिन हक़ीक़त में देखा जाय तो वो इस ख़ैरात का हक़दार होता ही नहीं । दरअसल फ़क़ीरों ने बदलते ज़माने के साथ मांगने के अंदाज़ भी बदल दीए हैं । आजकल शहर में ऐसे नौजवान और उधेड़ उम्र के फ़क़ीर नज़र आरहे हैं जिन के एक हाथ में बैसाखी है और वो ख़ुद के जिस्म को ग़ैरमामूली अंदाज़ में झुका कर सारा वज़न बैसाखी की लक्कड़ी पर डालते हैं ओ रिपैरों को मोड़े इस अंदाज़ में चलते हैं कि देखने वाले को तकलीफ़ होती है और जब येफ़क़ीर इस से कुछ मांगता है तो एक माज़ूर शख़्स तसव्वुर करके उसे ख़ैरात देता है ।
ऐसे फ़क़ीर आप को ट्रैफ़िक सिग्नल्स , अहम शाहराहों , ट्रैफ़िक जंक्शन और मसाजिद के बाहर ज़रूर नज़र आयेंगे । होटलों, बेकरियों , मेवा की बंडियों के क़रीब भी इसी तरह के फ़क़ीरों पर आप की नज़र ज़रूर पड़ेगी । हम ने इस बैसाखी का सहारा लिए बड़ी मुश्किल से चलते हुए कई फ़क़ीरों को देखा लेकिन ऐसा महसूस हुआ कि ये लोग अवाम को धोका दे रहे हैं इसी तरह हाथों पैरों पर पट्टियां बांधे कई फ़क़ीर भी हमारी नज़रों से गुज़रे हम ने उन की हालत को देख कर अंदाज़ा लगा लिया कि ये भी धोका दे कर ख़ैरात इकट्ठा कररहे हैं ।
इस के बावजूद हम ये सोच कर ख़ामोश रहे कि होसकता है बेचारा मजबूर होगा लेकिन दो दिन क़बल दूध बावली की एक क़दीम मस्जिद के बाहर बैसाखी पर अपने जिस्म का सारा बोझ डाले एक नौजवान मुश्किल से चलते हुए पहूँचा और थोड़ी देर में इस की चादर पैसों से भर गई मस्जिद कमेटी के एक रुकन को शुबा होने पर अचानक लात मार कर बैसाखी गिरा दी क्या देखते हैं चंद लम्हों पहले इंतिहाई माज़ूर-ओ-मजबूर बिना लोगों से ख़ैरात वसूल कररहे फ़क़ीरों ने बड़ी फुर्ती से अपने आप को सँभाल लिया और सीधा टहर गया ।
फ़क़ीर की इस हालत को देख कर सब को ताज्जुब हुआ लेकिन इस बहुरूपिए ने वहां से ख़सने सेक़बल चादर में ख़ैरात को लपटया और रफूचक्कर होगया । हम ने ख़ुद अपनी आँखों से देखा कि एक मुक़ाम पर फ़क़ीर मस्नूई पट्टियां बंधवा रहे थे । जर्राह आराम से रमज़ान में ये काम अंजाम दे रहे थे । बारी बारी से फ़क़ीर आगे बढ़ते वो किसी के पैर पर अजीब-ओ-ग़रीब अंदाज़ में पट्टी बांधते तो किसी के हाथ पर इस अंदाज़ में पट्टी बांधते के देखने वाले को लगता जैसे ये शख़्स बहुत बड़े हादिसा से दो-चार हुआ हो ।
बच्चों के सर पर भी पट्टियां बांधी जा रही हैं और उन पट्टीयों पर कुछ ऐसी दवा लगाई जाती है देखने में लगता है कि सर से ख़ून बह रहा हो । इस बात का भी पता चला है कि पेशा वारानाफ़क़ीर एक हॉस्पिटल में पहोनचकर 4 दिन , 6 दिन और 10 दिन केलिए अपने हाथों और पैरों पर प्लास्टर लगवा रहे हैं और मुबय्यना तौर पर ये काम मिली भगत से होरहा है । आप अक्सर फ़क़ीरों को सर पर टोपी कुर्ता पाजामा में मलबूस देखेंगे ।
ख़ैरात सदक़ात ज़कवाৃ-ओ-फ़ित्रा देते वक़्त ज़रूर एहतियात बरतें ये देखें कि आप की ज़कवाৃ-ओ-ख़तरातमुस्तहिक़ तक पहुंच पाए वर्ना हमदर्दी करते हुए आप पेशा वाराना फ़क़ीरों को कुछ देंगे तो हम समझते हैं कि वो इस का नाजायज़ इस्तिमाल करेंगे । आप को बतादें कि हम ने पहले भी फ़क़ीरों के अंदाज़ बहुरूपिया बन कर मासूम लोगों को धोका देने मासूम बच्चों को नींद की गोलीयां खिला कर स्टरीट लाइट्स के नीचे रात भर बैठे मांगते रहने किसी चौराहे पर कुर्सी डाले लोगों की तवज्जा अपनी जानिब मबज़ूल करवाने वाले फ़क़ीरों के बारे में रिपोर्टस दी हैं और पूरी तहक़ीक़ के बाद हम इस नतीजा पर पहूंचे कि अक्सर फ़क़ीर अवाम को धोका देते हैं । उन की अक्सरीयत गुटखे और गांजे की आदी होती है ।
आप को ये भी बतादें कि कुछ मुक़ामात पर आप को ऐसे फ़क़ीर भी नज़र आयेंगे जिन के हाथ और पैर केइलावा सेना या पेट जला हुआ नज़र आएगा ख़ासकर मासूम बच्चों के बदन पर छाले दिखाई देंगे ऐसे मुनाज़िर देखकर एक आम इंसान के दिल में रहम आजाता है और वो जेब से पैसे निकाले जले हुए फ़क़ीर को दे देता है लेकिन ये जिस्म पर जलने के निशानात छाले वग़ैराएक ख़ुसूसी जेल Gel का कारनामा है अक्सर फ़क़ीर ये gel इस्तिमाल करते हैं जिस से ये गुमां पैदा होता है कि बेचारे का सारा जिस्म झुलस गया है ।
इसी तरह कुछ लोग घरों पर मेहमान या दोस्त अहबाब की तरह आकर बड़ी ढिटाई से बैल बजाते हुए मकीनों को बाहर बुला कर ख़ैरात मांग रहे हैं । ये बात भी वाज़िह करना चाहीए कि ट्रैफ़िक सिग्नल्स तक़रीबन फ़क़ीरों केलिए बुक हैं अगर मख़सूस फ़क़ीरों की बजाय दूसरे फ़क़ीर वहां आते हैं तो उन्हें डरा धमकाकर ठहरने नहीं दिया जाता ।
इस पर दूसरे फ़क़ीर टूट पड़ते हैं । बराएमेहरबानी ख़ैरात , फ़ित्रा और ज़कवाৃ देते वक़्त चौकन्ना राए और इस बात को यक़ीनीबनाईं कि आप की ख़ैरात , फ़ित्रा और ज़कवाৃ मुस्तहक़्क़ीन तक पहूंचे क्योंकि शहर में ऐसे फ़ुक़रा भी हैं जिन्हें हक़ीक़त में हमारी हमदर्दियों-ओ-माली इमदाद की शदीद ज़रूरत है ।
हम ने जिस्म पर gel लगाने वाले फ़क़ीरों के बारे में जो ज़िक्र किया है । जमाता उल-विदा के मौक़ा पर मक्का मस्जिद , चारमीनार और दीगर अहम मुक़ामात पर आप ख़ुद इस तरह के फ़क़ीरों को देख सकते हैं । जिन्हें लोग हमदर्दी मैं अच्छी ख़ासी रक़म दे जाते हैं । अब तो फ़क़ीर भी दस रुपय तलब कररहे एक दो रुपय देने पर फ़क़ीर ख़ुद ख़ैरात करने वालों को हक़ारत की नज़र से देख रहे हैं ।