बिलाउर्ज़ शरई नमाज़ के लिए कुर्सी का इस्तिमाल , चर्च कल्चर : मुइज़ उद्दीन अशर्फ़ी

हैदराबाद ।12। सितंबर : ( रास्त ) : बाअज़ लोग फ़ी ज़माना मसाजिद में कुरसीनशीं हो कर नमाज़ अदा करते हुए नज़र आरहे हैं । हम सब जानते हैं नमाज़ ऐसी इबादत है जिस में बदनी मशक़्क़त होती है और इस में अल्लाह ताली के सामने अजुज़-ओ-इनकिसारी का इज़हार है ,

ज़मीन पर बैठ कर सजदा और क़ादा एक मुनफ़रद तर्ज़ इबादत है , बिलाउ र्ज़शरई कुर्सी पर इबादत चर्च कल्चर है । मौलाना सय्यद ख़्वाजा मुइज़ उद्दीन अशर्फ़ी ख़तीब जामि मस्जिद मुहम्मदी किशन बाग़ में अपने ख़िताब के दौरान इन मसाइल को ब्यानकिया , मौलाना अशर्फ़ी ने कहा कि कुर्सी पर बैठ कर नमाज़ पढ़ने की इजाज़त इस सूरत में है कि अगर कोई शख़्स ख़ूब मोटा है या किसी मर्ज़ के सबब इस का ज़मीन पर बैठना दुशवार है अगर बैठ जाय तो ख़ुद से उठ नहीं सकता

दूसरे लोग उसे कुर्सी पर उठाते बैठाते हैं तो ऐसे शख़्स को कुर्सी पर नमाज़ पढ़ने की इजाज़त है । इस मसले में मर्दों कीतख़सीस नहीं औरतों के लिए भी यही हुक्म है बिलाउर्ज़ फ़र्ज़ , वित्र और फ़ज्र-ओ-मग़रिब की सुन्नत नमाज़ों को ज़मीन पर या कुर्सी पर बैठ कर पढ़ने से नमाज़ नहीं होगी , अलबत्ता नवाफ़िल बैठ कर पढ़ सकते हैं ।।