मंदार रैस्टोरैंट टोली चौकी की ख़िदमात के 16 साल मुकम्मल

हैदराबाद ०७ अगस्त : ( रास्त ) : मंदार रैस्टोरैंट रूबरू RTAऑफ़िस सालार जंग कॉलोनी यूसुफ़ टीकरी फ़ूड कामपलकस टोली चौकी मेन रोड पिछले 15 साल से मुअज़्ज़िज़ ग्राहकों केलिए लज़्ज़त काम-ओ-दहन का बेहतरीन ज़रीया बनी हुई ही। मंदार रैस्टोरैंट के तीनों पार्टनरज़ जनाब ख़ालिद जनाब हैदर और जनाब तालिब बड़ी दिलजोई मेहनत-ओ-लगन केसाथ अपने मुअज़्ज़िज़ ग्राहकों की बेहतर से बेहतर ख़िदमत में मसरूफ़ हैं।

मंदार का अमला-ओ-स्टाफ़ भी बड़ा बाअख़लाक़ और मुअद्दब ही। मंदार की तमाम ग़िज़ाएं इलाक़ेमें मौजूद दीगर तमाम होटलों में अपना एक इन्फ़िरादी ज़ायक़ा रखती हैं यही वजह है कि मंदार रैस्टोरैंट के लवाज़मात से लुतफ़ अंदोज़ होने शहर के दौर दराज़ इलाक़ों से भी लोगतशरीफ़ लाते हैं। ग़िज़ाओं की तैय्यारी तवाज़ुन और सेहत बख़श डिशों की बेहतर क्वालिटी उम्दा ज़ायक़ा और भरपूर को एनटीटी केलिए गाहक बड़े मतमीन हैं।

माल मटेरियल की ख़रीदी से लेकर ग़िज़ाओं की तैय्यारी और रैस्टोरैंट में ग्राहकों तक डिशों की सरबराही तक के तमाम मराहिल पर मालकीयन की गहिरी नज़र और तवज्जा हमेशा रहती है । माह रमज़ान उल-मुबारक में मंदार की हलीम के भी बड़े चर्चे हैं। मंदार के शैदाई दीगर होटलों से गुज़र कर जोकि उन्हें रास्ते में ही मिल सकती हैं सब छोड़ छाड़ कर हलीम केलिए सिर्फ़ मंदार रैस्टोरैंट ही को तर्जीह देते हैं। ये सब अल्लाह रब अलाज़त का करम फ़ज़ल और आप तमाम की दाऊ नावर तआवुन का नतीजा है और ये मंदार के लिए किसी एज़ाज़ से कम नहीं।

मंदार रैस्टोरैंट की हलीम और दीगर ग़िज़ाओं की लज़्ज़त और ख़ूबी है जो ग्राहकों को अपनी तरफ़ खींच लाती ही। गुज़शता साल मंदार रैस्टोरैंट को ग्राहकों की बेहतर ख़िदमत केजज़बा के तहत ग्राऊंड फ़्लोर और पहली मंज़िल पर बड़ी वुसअत दी गई ही। मंदार रैस्टोरैंट में ग़ैरमामूली तब्दीलियों मुकम्मल नए माहौल जदीद असरी अंदाज़ में सजे सजाये साफ़ सुथरा ख़ूबसूरत और वसीअ तरीन दो अलैहदा अलैहदा फ़ैमिली डायिंग हॉल्स और एक मुकम्मल5स्टार सहोलतो नसे आर सत्ता ए सी बैंको ट हाल भी अपनी तंग दामानी का शिकवाह करने लगा था जिसे अब फिर से मज़ीद तौसीअ दी जारकर काफ़ी कुशादा कर दिया गया है।

जहां पर आप 50ता100मेहमानों के लिए कोई भी छोटी या बड़ी तक़रीब मुनाक़िद कर के हमारीलज़ीज़ ग़िज़ाओं से लुतफ़ अंदोज़ होसकते हैं।जहां का माहौल फ़ैमिलीज़ केलिए मुतास्सिरकण है। मंदार हलीम आग़ाज़ रमज़ान से ख़तन रमज़ान तक रोज़ाना शाम 4 से तैय्यार मिलती है और रात देर तक भी सरबराह की जाती है।’

हलीम और दीगर डीशस के लिए पार्सल का भी माक़ूल एहतिमाम है। इन सब ख़ूबीयों के साथ साथ मंदार की ग़िज़ाओं के दाम निहायत ही वाजिबी हुआ करते हैं। मंदार की कामयाबी की यही चंद अहम वजूहात हैं।