मसाजिद और घरों में सूरा-ए-फ़ेल तिलावत करने की अपील

हैदराबाद ३० जुलाई (रास्त) हक़तआला से दुआ, मुनाजात और राज़-ओ-नयाज़ को तर्क करदेने से आम फ़र्द और मुआशरा तो दौर की बात है मुस्तहकम हुकूमतें भी तबाह होजाती हैं। मुस्लमान चाहे किसी पेशा से वाबस्ता रहें हमेशा दुआओं के हथियार से उन्हें लैस रहना ज़रूरी ही। उमत मुस्लिमा में दुआ को कम अहम या ग़ैर अहम समझने या तर्क दुआ केरुजहान ने ये बर्बादी मचाई है।

इन ख़्यालात का इज़हार प्रोफ़ैसर डाक्टर सय्यद मुहम्मदतनवीर उद्दीन ख़ुदा नुमाई सदर शोबा फ़ारसी उस्मानिया यूनीवर्सिटी-ओ-डायरैक्टर मुदर्रिसा सोफिया हैदराबाद ने ख़ुदा नुमा मंज़िल में मुशावरती इजलास से ख़िताब करते हुए किया। उन्हों ने मज़ीद कहाकि हुज़ूर अकरम सिल्ली अल्लाह अलैहि-ओ-सल्लम के जद मुकर्रम हज़रत अब्दुल मुतलिब ने काबৃ अल्लाह शरीफ़ के दरवाज़े पर खड़े होकर काअबा शरीफ़ के दरवाज़े की ज़ंजीर के लटकाए जाने वाले हलक़ा को थाम कर रात भर दुआ करते रहे और आप की दुआ की बरकत से अल्लाह ताला अबाबील के लश्कर को भेजा जिस ने इस मसीही इफ़रीयत बादशाह यमन अबराह और इस की फ़ौज को जिसे क़ुरआन मजीद ने अस्हाब फ़ेल के नाम से याद फ़रमाया है तबाह-ओ-बर्बाद कर दिया।

सोफिया-ए-किराम रज़ी अल्लाह अन्हुम ने हमेशा अलद आ-ए-मुख़ अलाबादৃ (दुआ इबादत का मग़ज़ ही) अलद आ-ए-सलाह उल-मोमिन (दुआ मोमिन का हथियार है, की अहादीस मुबारका को अमली तौर पर मुस्लिम दुनिया में राइज किया था जिस से सारी दुनिया में अमन क़ायम था।

बिरादरान इस्लाम से इंतिहाई आजिज़ाना दर्दमंदाना अपील है कि अपनी अपनी मसाजिद और घरों में अस्रता इफ़तार सूरा-ए-फ़ेल की तिलावत का एहतिमाम करें। और अपने शहर , अपने मलिक और तमाम दुनिया के मुस्लमानों की हिफ़ाज़त की दुआ करें।