महफ़िल-ए-शायराना।

इस गली में  वो भूखा किसान रहता है,

ये वह ज़मीन है जहाँ आसमान रहता है।

 

मैं डर रहा हूँ हवा से ये पेड़ गिर न पड़े,

कि इस पे चिड़ियों का एक खानदान रहता है।

 

सड़क पे घुमते पागल की तरह दिल है मेरा,

हमेशा चोट का ताज़ा निशाँ रहता है।

 

तुम्हारे ख़्वाबों से आँखें महकती रहती हैं,

तुम्हारी याद से दिल ज़ाफ़रान रहता है।

 

हमें हरीफ़ों की तादात क्यों बताते हो?

हमारे साथ भी बेटा जवान रहता है।