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ग़ज़लों का एक खूबसूरत अहसास है एलबम “देखो तो”
September 11, 2017
साहिर लुधियानवी की नज़्म: “कहने को तो सब कुछ है, मगर कुछ भी नहीं है”
October 12, 2016
कैफ़ी आज़मी की नज़्म “अंदेशे”: “हर तरफ़ मुझ को तड़पता हुआ पाया होगा”
October 9, 2016
“बिस्मिल हो तो क़ातिल को दुआ क्यूँ नहीं देते”, अहमद फ़राज़ की ग़ज़ल
April 15, 2016
महफ़िल-ए-शायराना #2
December 22, 2015
महफ़िल-ए-शायराना।
December 21, 2015