माहाना मजलिस से ख़िताब

ज़हीर आबाद।11 फरवरी : मौज़ा गड़पली मंडल ज़हीर आबाद में अनवार लतीफ़ एज्यूकेशनल वैलफॆयर‌ सोसाइटी के ज़ेर-ए-एहतिमाम माहाना मजलिस तालीम-ओ-तर्बीयत हल्क़ा ज़िक्र की 18वीं मजलिस का इनइक़ाद अमल में आया।

कलाम पाक और नाअत शरीफ़ के बाद मौलाना मुफ़्ती सय्यद नईम कादरी कामिल जामिआ निज़ामीया ने ख़िताब बह मौज़ू शरीयत-ओ-तरीक़त करते हुए कहा कि हुज़ूर नबी करीम सिल्ली अल्लाह अलैहि वसल्लम की हयात मुबारका शरीयत-ओ-तरीक़त से मारूफ़ है। हज़रत ख़ातिम अलनबीनऐ के बाद आपऐ की उम्मत के उल्मा किराम-ओ-ओलयाए उज़्ज़ाम उम्मत की दीनी रहबरी फ़र्मा रहे हैं।

उन्हों ने दौरान ख़िताब कहा कि जिस तरह फ़िक़्ह में हज़रत अब्बू हनीफा ऒ तमाम फुक़हा-ए-के इमाम हैं ऐन इसी तरह तरीक़त में भी हज़रत-ए-शैख़ सय्यदना अबदुलक़ादिर जीलानी ऒ इमाम अलावलया-ए-हैं।मुफ़्ती सय्यद नईम कादरी ने कहा कि राह तरीक़त में सुलूक तए करने के लिए हज़रत पीरान पीरऒ की मुहब्बत-ओ-अक़ीदत बड़ी तासीर-ओ-कमाल रखती है।

उन्हों ने कहा कि शरीयत-ओ-तरीक़त को एक दूसरे की ज़िद या मुतसादिम समझना कम इलमी, कजफ़हमी-ओ-जहालत ही। सुलूक तए करने के लिए शरई उलूम की तहसील और पाबंदी शरीयत लाज़िमी ही। ख़ुसूसी दा-ए-ओ- सलाम पर ये नूरानी मजलिस तकमील पज़ीर हुई।