मोहम्मद पहलवान की रिहाई को रोकने मुख़ालिफ़ीन की साज़िश

हैदराबाद२१जुलाई ( सियासत न्यूज़ ) मुहम्मद पहलवान को एक साज़िश के तहतरमज़ान जेल में गुज़ारने केलिए मजबूर किया जा रहा है और मुख़ालिफ़ीन नहीं चाहते कि मुहम्मद पहलवान और उन के हामी जो जेल में हैं वो रमज़ान अपने घरों में गुज़ारें इन ख़्यालात काइज़हार ज़ुबेदा बेगम , नूर जहां और ऐडवोकेट जयावन दयाला सदर पीयू सी ईलने किया । उन्हों ने अफ़सोस का इज़हार करते हुए इल्ज़ाम लगाया कि सरकारी सरपरस्ती और पुलिस की पुश्तपनाही से मुख़ालिफ़ीन उन के ख़िलाफ़ साज़िशें कर रहे हैं । उन्हों ने कहा कि रियासत में इंसाफ़ का हुसूल आम आदमी केलिए मुश्किल हो गया है ।

उन्हों ने बंजारा हिलज़ पुलिस की जानिब से मुहम्मद पहलवान के ख़िलाफ़ दर्ज करदा एक ताज़ामुक़द्दमा पर अपना रद्द-ए-अमल ज़ाहिर किया और इस ख़सूस में वज़ीर-ए-आज़म, यू पी ए चीर परसन, चीफ़ मिनिस्टर, क़ौमी इंसानी हुक़ूक़ कमीशन और आंधरा प्रदेश हाईकोर्ट को बतौर टेलीगराम एक याददाश्त पेश की और ऐस ऐम उसके ज़रीया उन्हें अपनी मुश्किलात से आगाह करवाया । सदर पीयू सी ईल ऐडवोकेट जयावनदयाला जो बारकस की मज़लूमख़वातीन की मदद केलिए आगे आई हैं और अपनी तंज़ीम की जानिब से उन्हें भरपूर तआवुन पेश कर रही हैं ने बताया कि एक टी वी चिया नल की ख़बर को बुनियाद बनाकर मुहम्मद पहलवान को एक मुक़द्दमा में फांसा गया है ।

उन्हों ने बताया कि एम ए ईल की शिकायत पर बंजारा हिलज़ पुलिस ने मुक़द्दमा दर्ज कर लिया है । उन्हों ने ज़ुबेदा बेगम और नूर जहां बेगम के हवाले से कहा कि एक साज़िश के तहत जिस का बड़ी महफ़िलों में तज़किरा किया गया ।

मुहम्मद पहलवान को रमज़ान जेल में गुज़ारने केलिए मजबूर किया जा रहा है । मुख़ालिफ़ीन नहीं चाहते कि वो इस मुबारक महीने में मुहम्मद बिन उम्र याफ़ई और उन के हामी अपने अफ़राद ख़ानदान के साथ रहें ख़ुद मुजरिम होकर दूसरों को मुजरिमक़रार देने की मज़मूम कोशिश की जा रही है । जबकि आज तक पुलिस ने हमारी शिकायत पर पहल नहीं की । उन्हों ने कहा कि हुसूल इंसाफ़ हर शहरी केलिए यकसाँ होना चाहीए और क़ानून हर एक के लिए बराबर है ।

लेकिन रियासत में सरकारी सरपरस्ती और पुलिस की पुश्तपनाही से आम आदमी के लिए हुसूल इंसाफ़ को मुश्किल कर दिया है । उन्हों ने हुकूमत से मुतालिबा किया कि वो मुहम्मद पहलवान के अफ़राद ख़ानदान के साथ इंसाफ़करे और इबराहीम याफ़ई के क़ातिलों को ख़ातून के मुताबिक़ सख़्त से सख़्त सज़ा दे ।