जम्मू: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और सांसद डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने भारत-पाक सीमा के तनाव पर चिंता व्यक्त करते हुए दोनों देशों के संघीय सरकारों से अपील की है कि वे रमजान के आगमन से पहले नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम को सुनिश्चित करें। फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को यहां एक समारोह के मौके पर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि सीमाओं पर जारी तनाव चिंताजनक है। इसका समाधान संघर्ष विराम समझौते में निहित है।
न्यूज़ नेटवर्क समूह न्यूज़ 18 के मुतबिक अब्दुल्लाह ने कहा कि केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम का समझौता संपन्न हुआ था, जिससे सीमाओं पर कई वर्षों तक शांति का माहौल बना रहा। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ‘2003 में भी सीमाओं पर उस समय तनाव था जब अटल बिहारी वाजपेयी नई दिल्ली में केंद्र सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। लेकिन उन्होंने पहल की, वह लाहौर गए और पाकिस्तान के साथ हाथ मिलाया।
उन्होंने पाकिस्तान से वार्ता किए और फलस्वरूप संघर्ष विराम का समझौता संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि ‘मैं भारत और पाकिस्तान से अपील करता हूँ कि कुछ दिनों बाद रमजान का महीना शुरू होने वाला है। बेहतर यही होगा कि दोनों देश आपस में मिल बैठकर परामर्श करके संघर्ष विराम समझौता कर लें । नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा, कि “मैं सभी डिटेल्स नहीं दे सकता हूँ, लेकिन यह कह सकता हूँ कि मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि कश्मीर केवल शांति और व्यवस्था की समस्या नहीं है बल्कि समस्या के समाधान के लिए राजनीतिक कदम उठाया जाना चाहिए ‘।
उन्होंने कहा कि ‘इससे पहले एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीर का दौरा किया, वार्ताकारों की रिपोर्ट उनके पास पहले से ही पड़ी है लेकिन अभी तक कोई बेहतर कदम नहीं उठाया गया। मैंने प्रधानमंत्री को बताया कि उन्हें कश्मीर में स्थिति को पटरी पर लाने के लिए त्वरित कदम उठाने पड़ेंगे। ‘ नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष ने कहा कि ‘अगर भारत अपने पड़ोसी (पाकिस्तान) के साथ शांति चाहता है तो यह केवल बातचीत से संभव है। मेरा मानना है कि यही सही समय है कि दोनों देश मिल बैठकर बातचीत की प्रक्रिया शुरू करें ‘।