०९जुलाई (एजैंसीज़) यहां एक कीड़े मार दवा के प्लांट से गैस के इख़राज के सबब आस पास के अठारह देहातों के अवाम ने घरों से तख़लिया कर दिया। रियासत आंधरा प्रदेश में गैस के इख़राज पर अवामी तहफ़्फ़ुज़ का मसला तशवीश का बाइस बना हुआ है।
ज़िला सिरी का कोलम में नागर जना एग्री चीम फेक्ट्री में धमाका पेश आने से सतरह वर्कर्स के ज़ख़मी होने की इत्तिला ही। ए पी कंट्रोल बोर्ड और अनसपकटोरीट आफ़ फेक्ट्रीरीज़ ने सनअतों के माअनों की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। इस फ़याकटरी का 1994 -ए-में क़ियाम अमल में आया। कीड़े मार दवा की तैय्यारी के दौरान मुख़्तलिफ़ कमीकलस का इस्तिमाल किया जा रहा था जबकि प्लांट के वे बलॉक रिया कट्टर में धमाका पेश आया।
बताया गया कि धमाका से लगी आग को बुझाने मुनासिब इंतिज़ाम नहीं था और फ़ायर इंजनों के पानी को ऊपरी मंज़िल पर पहुंचाने में मुश्किलात पेश आएं। इस दौरान आग ने काफ़ी रकबा को अपनी लपेट में ले लिया। सुबह 9 बजे पेश आए धमाका से लगी आग तक़रीबन 3 बजे दिन तक भड़कती रही। गैस जलने से निकलने वाला धुआँ देहातों के कई केलो मीटर इलाक़ा तक फैल गया। तक़रीबन 100 केलो मीटर दूर विशाखापटनम से आग फ़िरौ करने वाले आलात तलब किए गए। इस सूरत-ए-हाल से परेशान 10 ता 15 केलो मीटर इलाक़ा में सुकूनत पज़ीर देही अवाम घरों के तख़लिया के लिए मजबूर हो गई।
इस सूरत-ए-हाल से क़ता नज़र सरकारी ओहदेदारों ने ये इद्दिआ किया कि कीड़े मार दवा में इस्तिमाल किया जाने वाला कमीकल इंसानी सेहत के लिए मुज़िर नहीं है। तहक़ीक़ात से पता चला है कि कंपनी पोलीवशन कंट्रोल बोर्ड की जानिब से क़ानूनी इजाज़त के बगै़र ही प्लांट को जारी रखे हुए थी। ज़िला कुलैक्टर ने 25 केलो मीटर के इलाक़ा में रिहायश पज़ीर अफ़राद के लिए गैस के इख़राज से इमकानी जलदी और तनफ़सी निज़ाम को ख़तरात बताए हैं। इस वक़्त के ज़िला कृष्णा सुर्यकांत ने साल 2010 -ए-और 2011 -ए-में पोलीवशन कंट्रोल बोर्ड को मोस्सर पोलीवशन कंट्रोल आलात की तंसीब के लिए पी सी बी को मकतूब रवाना किए थी। ताहम पी सी बी ओहदेदारों ने इस को नजरअंदाज़ कर दिया।
मुक़ामी साबिक़ सरपंच जी नारायण राउ ने बताया कि मुक़ामी अवाम कंपनी से होने वाली फ़िज़ाई आलूदगी और ज़ेर-ए-ज़मीन असरात के ख़िलाफ़ पिछले अठारह साल से लड़ाई लड़ रहे हैं। तालाबों और पानी के ज़ख़ीरों मैं आलूदगी पैदा होरही है और इस के सबब ज़रई काम में भी मुश्किलात दरपेश हैं। पी सी बी माहौलियाती अनजीनर आर लक्ष्मी ना रावना ने बताया कि पिछले तीन सालों के दौरान कई नोटिसें जारी की गईं जिन पर इंतिज़ामिया ने 50 करोड़ की लागत से नए आलात नसब किए ताकि गैस इख़राज के ख़तरे को कम किया जाए।
ताहम ये इक़दामात नाकाफ़ी थी। माहौलियाती माहिरीन ने इस वाक़िया को कई एक केमिकल कंपनियों और पालिसी साज़ों के लिए नविश्ता दीवार और ख़तरे की घंटी बताया और कहा कि शुमाली साहिली आंधरा इलाक़ों में रोज़गार और आलूदगी मौज़ूआत पर सख़्त एहतिजाज बुलंद हुए हैं जबकि प्लांटस से गैस के इख़राज पर शदीद इक़दामात की सख़्त ज़रूरत है।