हैदराबाद ०२नवंबर : मौलाना हाफ़िज़ पैर शब्बीर अहमद सदर जमईता उलमा हिंद ने लद्दाख पर बुद्धिस्टों के हमले की मुज़म्मत करते हुए इंसानी हुक़ूक़ तंज़ीमों और अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जैसे इदारों को मुतवज्जा करते हुए कहा कि वो इंसानियत के नाते मियांमार के मुस्लिम अक़ल्लीयत(अल्पसंख्यक) के जान-ओ-माल के तहफ़्फ़ुज़ के लिए आगे आएं क्योंकि मियांमार में पुलिस और फ़ौज की निगरानी में क़तल-ए-आम हो रहा है ।
उन्हों ने कहा कि वो क़ौम जिस में अदम तशद्दुद और रहम दिल्ली को अहम दर्जा हासिल है जिस को बुध अज़म कहा जाता है इस तरह की दरिंदगी का मुज़ाहरा हो रहा है । उन्हों ने मुतालिबा(माग) किया है कि अक़वाम-ए-मुत्तहिदा को फ़ौरी कार्रवाई करते हुए मियांमार हुकूमत को वार्निंग देना चाहिए कि अगर वो कुछ घंटों के अंदर अंदर वहां की मुस्लिम अक़ल्लीयत(अल्पसंख्यक) को तहफ़्फ़ुज़ फ़राहम करने में नाकाम रहती है तो इस के ख़िलाफ़ इक़तिसादी और फिर फ़ौजी कार्रवाई की जा सकती है ।
मियांमार में जो भयानक सूरत-ए-हाल है उस को बेहतर बनाने मुस्लिम ममालिक को भी सरगर्म होना चाहीए । गुज़श्ता दिनों तुर्की की मुदाख़िलत से कुछ तब्दीली के आसार पैदा हुए थे । ज़रूरत इस बात की है कि मियांमार के मुस्लिम अक़ल्लीयत(अल्पसंख्यक) मसला पर तवज्जा दे कर इस का मज़बूत हल निकाला जाये ।
उन्हों ने कहा कि अमरीका जैसे मुलक जिस तेज़ी के साथ अफ़्ग़ानिस्तान , इराक़ , लीबिया वग़ैरा में कार्रवाई करते हैं इसी तरह मियांमार जैसे मुलक के मुताल्लिक़ इंसानों को बचाने उस की हमदर्दी में क्यों इक़दाम नहीं कररहे हैं ? हालिया दिनों में मग़रिबी मियांमार और लद्दाख में मुस्लिम अक़ल्लीयत(अल्पसंख्यक) पर हमला , क़तल , मकानों और दुकानों को जलाए जाने को वहशयाना क़रार दिया और जम्मू-ओ-कश्मीर के लद्दाख के क़स्बा तहसील ज़नसकार में मुस्लमानों पर बुधों के हमला की मुज़म्मत करते हुए कहा कि मर्कज़ी और रियास्ती सरकार को फ़ौरी इक़दाम की तरफ़ मुतवज्जा किया जाता है ।
वहां जिस तरह मुवासलाती और इत्तिलाई निज़ाम को ख़त्म कर के मुस्लिम अक़ल्लीयत को निशाना बनाया गया है वो इंतिहाई शर्मनाक है और कहा कि ज़नसकार और इस के क़ुरब-ओ-ज्वार के मुस्लिम अक़ल्लीयत(अल्पसंख्यक) इंतिहाई(बहुत ज़्यादा) दहश्त ज़दा और अज़ीयत में मुबतला(ग्रस्त)हैं । इस से निकालने मूसिर इक़दामात की ज़रूरत है ।