हैदराबाद । ०६ जुलाई : ( नुमाइंदा ख़ुसूसी ) : शहर और मज़ाफ़ाती इलाक़ों में वाक़्य मौक़ूफ़ा आराज़ीयात पर नाजायज़ क़ब्ज़ा करना लैंड गिरा बरस के लिए इंतिहाई आसान है और वो मौक़ूफ़ा आराज़ीयात को अपनी तिजोरियां भरने का सब से आसान ज़रीया समझते हैं क्यों कि लैंड गिरा बरस ये अच्छी तरह जानते हैं कि वक़्फ़ बोर्ड इंतिहाई बेहिस महिकमा है और इस के ओहदा दारों को मौक़ूफ़ा आराज़ीयात या जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ की कोई फ़िक्र नहीं वो उस वक़्त तक ख़ाब-ए-ग़फ़लत में पड़े रहते हैं जब तक उन्हें ज़बरदस्ती लापरवाही-ओ-बेहिसी की नींद से झिंझोड़ झिंझोड़ कर जगाया नहीं जाता ।
ऐसा लगता है कि वक़्फ़ बोर्ड के ज़िम्मेदारों और ओहदेदारों ने अपनी ये आदत बना ली है कि मौक़ूफ़ा आराज़ीयात पर क़बज़ा और फिर इन आराज़ीयात की प्लाटिंग के बाद हरकत में आजाए और जब ये लोग हरकत में आते हैं तो वहां पुख़्ता मकानात , दूर दूर तक फैली बस्तीयां नज़र आती हैं । बाद में कहा जाता है कि इन नाजायज़ क़ब्ज़ों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी । इस तरह ये फाईल ख़ुदबख़ुद बंद हो जाती है । ऐसा ही बेहिस रवैय्या वक़्फ़ बोर्ड शमस आबाद में वाक़्य कई एकड़ क़ीमती ओक़ाफ़ी आराज़ीयात के बारे में इख़तियार कर चुकी है ।
वक़्फ़ बोर्ड की लापरवाही का शिकार बनी मौक़ूफ़ा आराज़ीयात में शमस आबाद के मौज़ा नरखोड़ा की दरगाह हज़रत अज़ीज़ मलकऒ भी शामिल है तक़रीबन 800 साला क़दीम इस दरगाह के तहत बताया जाता है कि ज़ाइद अज़ 18 एकड़ अराज़ी वक़्फ़ की गई थी । रिवायतों के मुताबिक़ एक नेक दिल ख़ातून सुलतान जाह बेगम ने इस दरगाह शरीफ़ के लिए ये अराज़ीवक़्फ़ की थी लेकिन आज राइलसीमा से ताल्लुक़ रखने वाले करोड़पती ताजिर रवींद्र रेड्डी और उन के भाई सरीनवास रेड्डी ने इस पर नाजायज़ क़बज़ा करते हुए प्लाटिंग कर दी है ।
मुक़ामी अफ़राद के मुताबिक़ रवींद्र रेड्डी और सरीनवास रेड्डी ने पहले दरगाह की अराज़ी से क़रीब की अराज़ी ख़रीदी और फिर देखते ही देखते दरगाह के तहत जो 18 एकड़ चार गनटेअराज़ी थी इस को भी अपनी अराज़ी में शामिल करलिया । हद तो ये है कि इन लैंड गिरा बरस ने गाव वालों और दीगर अफ़राद को दरगाह शरीफ़ की ज़यारत से भी रो कुदिया है ।इलाक़ा का दौरा करने पर पता चला कि इस इलाक़ा में 20 हज़ार रुपय गज़ के हिसाब से ज़मीन फ़रोख़त की जा रही है । अगरचे इस नाजायज़ क़बज़ा का सिलसिला दो साल क़बलशुरू हुआ था वक़्फ़ बोर्ड के ओहदेदारों ने बार बार तवज्जा दहानी के बावजूद इस दरगाहशरीफ़ का मुआइना करने की ज़हमत गवारा नहीं की ।
दरगाह हज़रत अज़ीज़ अलमलकऒ शमस आबाद और ख़ासकर मौज़ा नरखोड़ा के हिन्दू मुस्लिम अवाम के लिए इत्तिहाद-ओ-यकजहती का मुक़ाम है । मुस्लमानों से ज़्यादा हिन्दू भाई इस दरगाह शरीफ़ पर हाज़िरी देते हैं । मौज़ा नरखोड़ा में जब भी किसी के घर शादी होती है तो वहां के हिन्दुओ कीरिवायत है कि वो शादी के दूसरे दिन दुल्हा दुल्हन को दरगाह की ज़यारत करवाते हैं और चादर गुल का नज़राना पेश करते हैं ( 40×40 फ़ुट या क़दम के एक वसीअ-ओ-अरीज़चबूतरा पर दरगाह शरीफ़ वाक़्य है )
लेकिन लैंड गिरा बरस ने अपने ताक़त के ज़ोर पर इस रिवायत को भी रो कुदिया है । रवींद्र रेड्डी और सरीनवास रेड्डी ने दरगाह के क़रीब भीअक़ीदत मंदों को आने से रोकने के लिए कई अफ़राद को सीकोरीटी गार्ड्स के तौर परमुतय्यन करदिया है जो किसी को भी दरगाह की जानिब जाने से रो कदीते हैं उन के इसतर्ज़ अमल पर मुक़ामी हिन्दुओ और मुस्लमानों दोनों में बेचैनी पाई जाती है । मुक़ामी हिन्दुओ ने बताया कि दरगाह की दुल्हा दुल्हन को ज़यारत करवाने की रिवायत सदीयों से चली आरही है लेकिन लैंड गिरा बरस ने इस रिवायत को रोकने की कोशिश की है । आप को बतादें कि नरखोड़ा हज हाइज़ नामपली से तक़रीबन 27 किलोमीटर के फ़ासले पर वाक़्य है । ‘
मेन रोड से एक केलो मीटर अंदर दरगाह शरीफ़ है । माह अप्रैल में मुक़ामी मुस्लमान और हिन्दुओ ने लैंड गिरा बरस के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त एहतिजाज करते हुए रास्ता रोकोएहतिजाज भी मुनज़्ज़म किया था । क्यों कि इन लैंड गिरा बरस ने जहां दरगाह की अराज़ीपर क़बज़ा करलिया था वहीं क़रीब में मौजूद मंदिर को भी मुनहदिम करते हुए मूर्तियां हिमायत सागर में फीनकदीं थीं । उस वक़्त भी रीवीनो , आबपाशी और पुलिस के आलीओहदा दारों ने दौरा करते हुए सूरत-ए-हाल का जायज़ा लिया था । लेकिन वक़्फ़ बोर्ड के ओहदेदारों को दौरा की तौफ़ीक़ नसीब ना हो सकी ।
अवामी एहतिजाज के पेशे नज़र पुलिस ने लैंड गिरा बरस के ख़िलाफ़ कई दफ़आत के तहत मुक़द्दमात दर्ज किए और उन की गिरफ़्तारी अमल में लाई । उस वक़्त तो वक़्फ़ बोर्ड ने ख़ामोशी इख़तियार करली लेकिन अचानक 28 जून को वक़्फ़ बोर्ड टास्क फ़ोर्स इन्सपैक्टर अबदुलक़ुद्दूस , शेख़ अनवर और सुरवीर सज्जाद साहिब ने दरगाह का दौरा किया । उन लोगों को भी बड़े मुश्किल से दरगाह की जानिब जाने दिया गया ।
इन ओहदेदारों ने इस की इत्तिला सदर नशीन वक़्फ़ बोर्ड ख़ुसरो पाशाह को करदी और काग़ज़ात हासिल करने के बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी ।वाज़िह रहे कि मौज़ा नरखोड़ा में मुस्लमानों के 20 मकानात हैं और हिन्दू मुस्लिम आपस में इत्तिहाद-ओ-इत्तिफ़ाक़ से रहते हैं । मज़ीद तहक़ीक़ के तौर पर हम ने मुक़ामी बुज़ुर्गहज़रात से बात की । एक साहिब ने बताया कि दरगाह के तहत 18 एकड़ अराज़ी थी दूसरे बुज़ुर्ग शख़्स ने बताया कि 1954 मैं पंज नामा किया गया था उस वक़्त 13 एकड़ 30 गनटेअराज़ी का पता चला था । लेकिन अब दरगाह के चबूतरे तक ही ये मौक़ूफ़ा अराज़ी सिमट कर रह गई है ।
गाव वालों से बातचीत के बाद जब हम दरगाह के क़रीब पहूंचे तो अंदर जाने से रो कुदिया गया और ये सवाल का यही जवाब दिया गया कि साहिब लोगों की इजाज़त नहीं है । इस लिए किसी को दरगाह के क़रीब जाने नहीं दिया जाता । ज़रूरत इस बात की है कि वक़्फ़ बोर्ड हरकत में आए और इस के बारे में सब से मजबूर-ओ-बेबस-ओ-बेहिस महिकमा होने का जो अवामी तसव्वुर पाया जाता है उसे ग़लत साबित करे और ये तब ही मुम्किन है जब इस के ओहदेदार अपने फ़राइज़ को दियानतदारी से अंजाम दें ।।