शाह ग़ौस हलीम लज़्ज़त और क़ुव्वत का मुनफ़रद इमतिज़ाज(मिलाना)

रमज़ान उल-मुबारक के आग़ाज़ के साथ ही शरबती गेहूं पोटले के गोश्त असली घी और असली मसालिहा जात और रोज़ा दारों की ख़िदमत के जज़बा के साथ तैय्यार करदा ज़ाइक़ादार और मुक़व्वी हलीम का ख़्याल आता है और ये ख़्याल शाह ग़ौस होटल की हलीम पर जा कर रुकता है ।

गुज़शता पंद्रह बरसों से रोज़ा दारों की ख़िदमत में शाह ग़ौस कैफे की हलीम को दोनों शहरों हैदराबाद और सिकंदराबाद के अवाम और ख़ास दोनों ही तबकों में बेइंतिहा मक़बूलियत हासिल रही है । शाह ग़ौस हलीम को तक़रीबन हर साल नंबर एक हलीम का ऐवार्ड बावक़ार मीडीया इदारों की जानिब से दिया जाता रहा है । शाह ग़ौस हलीम अपनी मक़बूलियत का एक बेमिसाल रिकार्ड रखती है और अवाम की बेहद पसंद और मक़बूलियत को देखते हुए शाह ग़ौस कैफे शाह अली बंडा रोड सय्यद अली चबूतरा के बाद नए शहर के पाश इलाक़ा टोली चौकी में मुअज़्ज़िज़ ग्राहकों और नए शहर के अवाम के बेहद इसरार पर क़ायम की गई है ।

जनाब मुहम्मद मुईन उद्दीन के फ़र्र ज़िंदाँ अल्हाज मुहम्मद ग़ौस पाशाह मुहम्मद रब्बानी और अल्हाज मुहम्मद इर्फ़ान ने अपनी मेहनत और अवाम-ओ-खासतौर पर रोज़ा दारों की ख़िदमत के जज़बा के साथ शाह ग़ौस हलीम को एक मुनफ़रद मुक़ाम दिलाया है और शाह ग़ौस की हलीम के हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के इलावा बैरूनी ममालिक में मुक़ीम हैदराबादियों में चर्चे होने लगे हैं। मसरस अल्हाज मुहम्मद ग़ौस पाशाह मुहम्मद रब्बानी और अल्हाज मुहम्मद इर्फ़ान ने बताया कि उन्हों ने हमेशा ग्राहकों के भरोसा और यक़ीन को पूरा करने की जद्द-ओ-जहद की है और कभी भी मयार और रोज़ा दारों की ख़िदमत पर कोई समझौता नहीं किया है । यही वजह है कि ग्राहकों का अटूट भरोसा शाह ग़ौस की हलीम पर पंद्रह सालका अर्सा गुज़र जाने के बाद भी क़ायम-ओ-दाइम है । यही वजह है कि गाहक ना सिर्फ ख़ुद शाह ग़ौस की हलीम से लुतफ़ अंदोज़ होते हैं बल्कि दोस्त अहबाब और रिश्तेदारों केलिए भी पार्सल लेजाते हैं । मुहम्मद रब्बानी ने बताया कि शाह ग़ौस कैफे की हलीम रोज़ा दारों केलिए एक क़ुव्वतबख़श ग़िज़ा भी है और किसी हकीमाना नुस्ख़ा से भी कम नहीं है ।

उन्हों ने बताया कि दोनों शहरों के अवाम की सहूलत केलिए शाह ग़ौस हलीम शाह अली बंडा रोड सय्यद अली चबूतरा और टोली चौकी पर रात देर गए तक दस्तयाब है । उन्हों ने बताया कि गुज़शता बरसों में शाह ग़ौस कैफे की हलीम को zee TV , HYTV, TV9 और टाईम्स आफ़ इंडिया की जानिब से बिस्ट हलीम ऐवार्ड दिया गया है । टाईम्स आफ़ इंडिया की जानिब से ऐस ऐम उसके ज़रीया अवाम की राय हासिल करने के बाद ये ऐवार्ड दिया जाता है ।

हलीम के शायक़ीन में आम और ख़ास दोनों तबक़ात शामिल हैं और मुअज़्ज़िज़ ग्राहकों की सरपरस्ती और अल्लाह रब अलाज़त के फ़ज़ल-ओ-सरकार दो आलम ई के नालैन पाक का सदक़ा ही है कि शाह ग़ौस कैफे की हलीम की मक़बूलियत में मुसलसल इज़ाफ़ा ही होता जा रहा है । ये हलीम रोज़ाना शाम चार बजे से पार्सल केलिए दस्तयाब रहती है । पार्सल का ख़ुसूसी इंतिज़ाम रोज़ा दारों की सहूलत के लिए रखा गया है