हैदराबाद ।०८जुलाई (एजैंसीज़) हिंदूस्तान में बहुत जल्द तमाम शहरीयों को आम बीमारीयों की दवाएं मुफ़्त दी जाएंगी। इस सिलसिला में हुकूमत ने एक पालिसी तैय्यार की है, जिस पर जारीया साल के अवाख़िर से अमल आवरी शुरू करदी जाएगी। तवक़्क़ो है कि अप्रैल 2017-ए-तक मुल़्क की 52 फ़ीसद आबादी को इस पालिसी के तहत मुफ़्त अदवियात फ़राहम होंगी।
हुकूमत से इस मुजव्वज़ा फ़ैसले से लाखों शहरीयों की ज़िंदगीयां बदल जाएंगी, लेकिन इस का सब से ज़्यादा नुक़्सान अदवियात की मल्टीनेशनल कंपनियों को होगा। समझा जाता है कि मल्टीनेशनल कंपनियों के ब्रांडेड ड्रग्स पर पाबंदी आइद होगी। इस तरह बड़ी बड़ी फार्मा कंपनीयां इस स्कीम से दूर रहेंगी। समझा जा रहा हीका 2014-ए-के इंतिख़ाबात को ज़हन में रखते हुए हुकूमत ने इस किस्म का इन्क़िलाबी क़दम उठाने का फ़ैसला किया है क्योंकि हिंदूस्तान में अदवियात की क़ीमतों में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ ही। साथ ही आम आदमी के लिए ईलाज के मसारिफ़ बर्दाश्त करना नामुमकिन सा हो गया है।
हुकूमत के इस मुजव्वज़ा फ़ैसला पर अमल आवरी के साथ ही शहर के हॉस्पिटल्स से लेकर देहातों के छोटे छोटे क्लीनिक्स के सरकारी डॉक्टर्स अपने तमाम मरीज़ों को आम किस्म की बीमारीयों के इंसिदाद में मदद करनेवाली अदवियात लिख सकते हैं। डॉक्टर्स की तशख़ीसी नुस्ख़ों के मुताबिक़ मरीज़ों को मुफ़्त अदवियात फ़राहम की जाएंगी। वाज़िह रहे कि हिंदूस्तान एक ऐसा मुल्क़ ही, जहां सालाना एक आदमी पर सेहत के लिए 4.50 डॉलर्स यानी तक़रीबन 270 रुपय ख़र्च किए जाते हैं।
ओहदेदारों के मुताबिक़ इस मंसूबा को बड़ी ख़ामोशी से गुज़शता साल ही अपनाया गया था, लेकिन इस की तशहीर नहीं की गई। इस सरकारी मंसूबा के तहत डॉक्टर्स सिर्फ़ आम किस्म की बीमारियों से निमटने वाली अदवियात का नुस्ख़ा लिख सकते हैं उन्हें ब्रांडेड अदवियात लिखने या तजवीज़ करने की इजाज़त नहीं होगी। इस तरह हुकूमत का ये इक़दाम दुनिया की तेज़ी से बढ़ती फार्मा मार्किटस में शामिल हिंदूस्तान में अदवियात की बड़ी कंपनीयों के लिए एक झटका साबित होगा।
ग़ैर सरकारी आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ हिंदूस्तान को दुनिया में उभरती हुई ड्रग मार्किट की हैसियत से देखा जाने लगा ही। दूसरी जानिब हुकूमत का कहना हीका अंदरूनपाँच साल उम्मीद हीका हिंदूस्तान की 1.2 बिलीयन आबादी का निस्फ़ इस मुनफ़रद स्कीम से इस्तिफ़ादा करेगा जबकि दीगर शहरीयों को ख़ानगी हॉस्पिटल्स और क्लिनिक्स का रुख करना पड़ेगा, जिस में ये स्कीम दस्तयाब नहीं रहेगी। वज़ारत-ए-सेहत के ऐडीशनल सैक्रेटरी अलसी गोविल का कहना हीका हुकूमत की इस पालिसी का मक़सद आम किस्म की बीमारीयों की इन अदवियात के माक़ूल इस्तिमाल को यक़ीनी बनाना है जो अच्छी मयार की हूँ।
आम किस्म की बीमारीयों में इस्तिमाल की जाने वाली अदवियात या GENERIC MEDICINES ब्रांडेड अदवियात से कहीं ज़्यादा सस्ती होती हैं। फ़ारमाटीवटीकल्स कंपनियों के हलक़ों का कहना है कि इस सरकारी स्कीम पर अमल आवरी के नतीजा में दवा साज़ी केलिए आलमी सतह की फ़ीज़र, गलाईको गलाइन और मेरिक जैसी मशहूर-ओ-मारूफ़ कंपनीयां मुतास्सिर होंगी।
बताया जाता हीका ये कंपनीयां नए ईलाज की दरयाफ़त के लिए रिसर्च पर एक साल में कई बिलीयन डॉलर्स ख़र्च कररही हैं और उन का अहम निशाना याहदफ़ हिंदूस्तान जैसी उभरती मईशतें होती हैं। कहा जाता हीका हिंदूस्तान में GENERIC MEDICINES बहुत ज़्यादा फ़रोख़त होती हैं। यहां फ़रोख़त की जाने वाली अदवियात में 90फ़ीसद जरनक मैडीसन ही होती हैं।
चुनांचे अमरीका की अबाट लिया बस ने साल 2010-ए-में जज़ीक अदवियात तैय्यार करनेवाली एक कंपनी को ख़रीद लिया था और अब वो हिंदूस्तान में ब्रांडेड और जज़ीक ड्रग्स की फ़रोख़त में सर-ए-फ़हरिस्त ही। इस के बाद गलाईकसो असमथ क्लाइन का नंबर आता ही। वाज़िह रहे कि मार्च में हिंदूस्तान में एकमुल्की दवासाज़ कंपनी नाटको को जर्मनी की BAYER नामी कंपनी के तैय्यार करदा कैंसर ड्रग के एक किस्म की तैय्यारी के लिए पहली मर्तबा ज़रूरी तौर पर दरकार टनसी मंज़ूरकिया, जिस के साथ ही बैरूनी दवासाज़ कंपनीयों में ये ख़ौफ़-ओ-ख़दशात पैदा हो गए कि इस उभरती हुई मार्किट में हुक़ूक़ इख़तिराई का तहफ़्फ़ुज़ नहीं कहा जा सकता।
हिंदूस्तानी हुकूमत की मंज़ूरी के बाद ही नाटको फ़र्र अम्मा जर्मन की बावर कंपनी की जानिब से कैंसर के ईलाज के लिए तैय्यार की गई दवा का हिंदूस्तानी नमनोह या जज़ीक वर्ज़न ना सिर्फ तैय्यार किया बल्कि उसे 8,800 रुपय मैं फ़रोख़त भी किया। एक माह की ख़ुराक केलिए नाटको ने मरीज़ों और ज़रूरतमंदों से 8,800 रुपय क़ीमत वसूल की हालाँकि बावरकंपनी की यही द्वार 2,80,000 रुपय मैं फ़रोख़त की जाती है।
हिंदूस्तान की एक हीलत केरइन्फ़ार्मेशन ऐंड सरवेस कंपनी आई ऐम ऐस हैल्थ के मुताबिक़ हिंदूस्तानी जैसी उभरती मार्किटस में आलमी फार्मा कंपनीयां अपने जुमला आलमी कारोबार का 28 फ़ीसद कारोबार करेंगी जबकि 2005-ए-में ये कारोबार सिर्फ़ 12 फ़ीसद ही था। मुख़्तलिफ़ एजैंसियों के आदाद-ओ-शुमार से पता चलता है कि हिंदूस्तान में ड्रग्स की ख़रीदी पर 60 हज़ार करोड़ रुपय के मसारिफ़ आते हैं और अब हर साल 25 करोड़ लोग मुफ़्त दवाएं हासिल करेंगी। अब देखना ये है कि इस स्कीम का फ़ायदा आम आदमी को होगा या फिर यू पी ए इस के ज़रीया 2014 के आम इंतिख़ाबात में अपनी हुकूमत बरक़रार रखने की कोशिश करेगी।