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Urdu Poems
साहिर की ग़ज़ल: “ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ां ना कर सके”
November 6, 2016
बशीर बद्र की ग़ज़ल: “आ चाँदनी भी मेरी तरह जाग रही है”
November 4, 2016
साहिर लुधियानवी की नज़्म: “जिंदगी मय्यतों पे रोती है, ख़ून फिर ख़ून है”
October 19, 2016
कैफ़ी आज़मी की नज़्म “अंदेशे”: “हर तरफ़ मुझ को तड़पता हुआ पाया होगा”
October 9, 2016