उर्दू की सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताब “आब-ए-हयात” के बारे में कुछ बातें

पिछले सालों में उर्दू को काफ़ी नुक़सान हुआ है और आज वो दौर है जबकि उर्दू बोली तो जाती है लेकिन बोलने वाले भी उर्दू-लिपि नहीं पढ़ पाते और शायद यही कारण है कि वो पुरानी उर्दू की दुकाने जहां किसी दौर में रौनक का माहौल होता था मायूस सन्नाटों से गुज़र रही हैं.