रमज़ानुल मुबारक का इस्तकबाल पूरी अजमत से कीजिए

(मौलाना मुफ्ती मोहम्मद आशिक इलाही) रमजानुल मुबारक हमारी जिन्दगी में एक बार फिर आ रहा है। इस अज़ीम महीने का इस्तकबाल पूरी अजमत व एहतराम के साथ कीजिए। यह आपको बनाने, संवारने और सजाने आ रहा है, आपकी किस्मत बनाने आ रहा है, आप की तौबा कुबू

अद्ल व इंसाफ के तकाजे

(मौलाना महमूद आलम कासमी ) इंसानी समाज की तरक्की में जिस चीज को सबसे ज्यादा अहमियत हासिल है वह है अद्ल व इंसाफ का कयाम। अल्लाह तआला ने कुरआने करीम में इंसान को इंफिरादी तौर पर अद्ल व इंसाफ पर रहने की ताकीद फरमाई है और इज्तिमाई तौर पर प

लाखों मुसलमानों के बीच एकेला हिंदू फ्लैट

अहमदाबाद एक ऐसा शहर है जहां हिंदू-मुस्लिम दंगों के बाद दोनों फिर्को के लोग अलग-अलग बस्तियों में रहने लगे थे। लेकिन इन सबसे अलग है ‘जलक अपार्टमेंट्स’, जहां सिर्फ अमन और भाईचारा ही बसता है।

पाकिस्तान की ख़्वातीन दूसरे दर्जे की शहरी

पाकिस्तान में ख़्वातीन की हालत कभी भी अच्छी नहीं रही। साठ के दहा में जनरल अयूब खान के हुक्मरानी में ख़्वातीन की हालत में सुधार के लिए कुछ कोशिशें जरूर हुई।

नफ्स व शैतान के फदे

(मौलाना पीर जुल्फिकार अहमद, नक्शबंदी) इंसान इस दुनिया में कई तरह की आजमाइशों में मुब्तला है। एक तरफ शैतान नेकी के रास्ते में बैठ कर उसे रोकता है और दूसरी तरफ नफ्स उसे फंदा डाला होता है कभी नफ्स की ख्वाहिशात और चाहते ऐसी होती हैं जो इ

कयामत के नजदीक होने की अलामात

(आबिद अली) हजरत हुजैफा (रजि0) से रिवायत है कि नबी करीम (सल0) ने फरमाया-बहत्तर चीजे कयामत के नजदीक होने की अलामत है, जब तुम यह अलामात देखो तो फिर सुर्ख आंद्दी, जमीन में द्दंस जाने, शक्लें बिगड़ जाने और आसमान से पत्थर बरसने जैसे अजाबों का इ

कर्ज की अदाएगी में टालमटोल करना जुल्म है

(मोहम्मद नजीब कासमी ) अगर कोई शख्स किसी खास जरूरत की वजह से कर्ज मांगता है तो कर्ज देकर उसकी मदद करना बाइसे अज्र व सवाब है जैसा कि कुरआन व हदीस की रौशनी में उलेमा ने लिखा है कि जरूरत के वक्त कर्ज मांगना जायज है और अगर कोई शख्स कर्ज का त

हदीसे खैर-मुकद्दस आयतें

(नैयर रब्बानी)आईए, आज सुबह-सवेरे उस मुकद्दस किताब को अलमारी से निकालते हैं जिसे छुए हुए एक जमाना गुजर गया, जिसकी तिलावत का ख्याल भी आप के दिल में शायद ही आता हो, उसपर से गर्द साफ कीजिए, उसे आज खोल ही डाललिए और उसके दिल को टटोलिए।

नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की दुआएं

(मौलाना मोहम्मद मजहर उल हुदा कादरी) नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जात दो कमालात की जामे है- एक अब्दियत दूसरी नबुवत। अब्दियत भी कामिल अब्दियत जिसका मजहर और नतीजा है और नबुवत जामिया का जहूर दावत है। दावत से सीरत के पन्ने भरे ह

नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जिंदगी नमूना-ए-अमल

(हजरत सैयद अब्दुल्लाह शाह नक्शबंदी) अल्लाह तआला ने अपनी मर्जी के मुवाफिक चलने के लिए इंसान को उसकी अक्ल पर नहीं छोड़ा बल्कि वाजेह एहकाम दिए और उन एहकाम पर अमल करने का नमूना भी दिया। नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) हमारे लिए नमून

कर्ज और उसका वबाल

(मौलाना सैयद अशहद रशीदी )हजरत मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन हजस (रजि0) से मरवी है कि हम मस्जिदे नबवी के सेहन में नबी करीम (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ) के साथ उस जगह बैठे हुए थे जहां जनाजे रखे जाते थे। आप ने अचानक अपनी नजरें आसमान की तरफ उठाई

किसी को हिकारत की नज़र से देखना एक अजीम गुनाह है

(मौलाना असरार उल हक कासमी) इस्लाम ने जिंदगी के हर शोबे में मजमूई तौर पर मुसलमानों के हर किस्म के फायदे और कामयाबी को मलहूज रखा है। इस्लाम की तालीमात ऐसी ठोस और मजबूत बुनियादों पर रखी गई है कि अगर मुसलमान उन्हें अख्तियार करें और उनके

नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) की जिंदगी के अहम पहलू

(शेख मकबूल अहमद) अल्लाह की जात बाबरकत बेशुमार सिफात से संवरी है जिनका हम शुमार नहीं कर सकते। उसने हमें अपनी चंद सिफात का इल्म दिया है जो अच्छे नामों के जरिए जाने जाते हैं। उसकी तमाम सिफात में सबसे अहम और मुकद्दस सिफत, सिफते रहमत है ज

अच्छे अखलाक की अहमियत

नबी करीम (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) ने फरमाया-‘‘ तुम में सबसे बेहतर वह है जो तुम में अखलाक में सबसे अच्छा है।’’ (सही मुस्लिम) हुस्ने अखलाक का मतलब है एक इंसान का जिन-जिन से भी वास्ता पड़ता है उन सबसे अच्छा बरताव करे।

इफ्फत और पाकदामनी जिंदगी के हर शोबे में मतलूब

(मौलाना असरार उल हक कासमी ) इस्लाम एक ऐसा मजहब है जो अपने मानने वालों की जिंदगी के हर मोड़ पर न सिर्फ रहनुमाई करता है बल्कि वह उन्हें उन तमाम तरीकों से बखूबी रौशनास कराता है जो उन्हें पेश आने वाली मुश्किलात से छुटकारा और निजात दिलान

“मक्का में मंदिर नहीं तो अयोध्या में मस्जिद क्यों” : आदित्यनाथ

यूपी के गोरखपुर से भाजपा एमपी योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस तरह से मक्का-मदीना और वेटिकन सिटी में मंदिर नहीं बनायी जा सकती , उसी तरह अयोध्या में किसी मस्जिद की तामीर नहीं हो सकती।

मुरली मनोहर जोशी ने पैगम्बर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को बताया ‘सबसे अज़ीम योगी ’

बीजेपी के सीनीयर लीडर मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि अगर हर आम आदमी अपनी ज़िंदगी में योग को अपनाए, तो इससे मुल्क में बलात्कार के वाकियात को कम करने में मदद मिलेगी.

अल्लाह तआला की नवाजिशें और हमारा फर्ज

(मौलाना अशहद रशीदी ) हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रजि0) से मंकूल है कि नबी करीम (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) से नकल करते हुए इरशाद फरमाते हैं कि अल्लाह तआला नेकियों को भी लिखता है और बुराइयों को भी, फिर आप ने इसकी वजाहत करते हुए फरमाया कि ज

हसद की तबाहकारियां

( मोहम्मद कामरान तालिब) जमाना कयामत की चाल चल रहा है, नफ्सा-नफ्सी का आलम है। एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को दबोच रहा है। एक दूसरे की जड़े काटने में मसरूफ है, अच्छे खासे दीनदार लोग भी इस फितने का शिकार हैं। अगर किसी शख्स के पास अल्लाह तआल

सीरते रसूल (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) के दो अहम तरीन पहलू

(मौलाना सदरूद्दीन इस्लाही)यूं तो पैगम्बरे इस्लाम (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम) की सीरत का कोई गोशा नहीं जो कमाले इंसानियत का आइनादार न हो। लेकिन इसके दो अहम पहलू ऐसे हैं जो सबसे ज्यादा बुनियादी और अहम है। एक तो यह कि आप (सल्लल्लाहू अलै