हर फ़र्द अल्लाह के सामने जवाबदेह है

फुक़हा ने अहद की पाबंदी पर इस क़दर इसरार किया है और यहां तक कहा है कि अगर कोई ग़ैर मुल्की इजाज़त लेकर किसी मुक़र्ररा मुद्दत के लिए इस्लामी इलाक़े में आ चुका हो और इसी दौरान इस्लामी हुकूमत और इस ग़ैर मुल्की हुकूमत में जंग छिड़ जाये तो इस ग़ैर म

अल्लाह तआला बुराईयों को नेकियों से बदल देगा

अल्लाह तआला की बारगाह में अगर सौ साल का काफ़िर भी तौबा कर ले तो अल्लाह तआला उसकी तौबा क़बूल फ़रमा लेता है। इरशाद बारी तआला है कि काफ़िरों से कह दो अगर वो बाज़ आ जाऐं तो जो पहले हो चुका माफ़ कर दिया जाएगा (सूरतुल अनफ़ाल।३८) पस अगर कुफ्र की भी त

कयामत का दिन नफसा नफ़सी का होगा

फिर जब बहरा करने वाला शोर उठेगा, उस दिन आदमी भागेगा अपने भाई से और अपनी माँ से और अपने बाप से और अपनी बीवी से और अपने बच्चों से। हर शख़्स को इनमें से उस दिन ऐसी फ़िक्र लाहक़ होगी जो उसे (सबसे) बेपरवाह कर देगी। कितने ही चेहरे उस दिन (नूर ए ई

आख़िर अल्लाह का वादा कब ?

अल्लाह तआला फ़रमाता है: इस दीन मतीन पर मज़बूती के साथ जम जाओ, इस पर ईमान लाओ और इसके मुताबिक़ अमल करो इसका नतीजा ख़ुदबख़ुद ज़ाहिर होगा कि दुनिया में तुम ही सरबुलंद होगे, तुम्ही को ज़मीन का वारिस बनाया जाएगा। लेकिन अक्सर लोग नहीं जान

नदामत तौबा है, अल्लाह की रहमत से मायूस ना हों

इंसान ख़ता का पुतला है, ब तकाज़ाए ब शरियत गुनाह का मुर्तक़िब होता है। मगर जब एहसास होता है तो दिल में नदामत होती है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहीए था, इसी नदामत का दूसरा नाम तौबा है। हुज़ूर अकरम स०अ०व० का इरशाद है कि नदामत तौबा है। इसीलिए बं

न हिंदू मरता है न मुसलमान, धमाकों में सिर्फ़ इंसान मरता है

हैदराबाद 27 फरवरी- ‘ ना हिंदू मरता है ना मुसलमान मरता है, धमाकों में सिर्फ़ इंसान मरता है’,,,,,,,, कुछ इसी राह पर चलते हुए हैदराबाद धमाकों के बाद पाशा मुतास्सिरीन के लिए फ़रिश्ता बन कर आए.

क़ुरआन मजीद और इस्लाह-ए-मआशरा

तमाम किस्म की हम्द‍ ओ‍ सना उस रब्बुल आलमीन के लिए लायक़-ओ-ज़ेबा है, जिसने हम को पैदा किया और हमारी हिदायत-ओ-रहनुमाई के लिए अंबिया-ए-किराम अलैहिस्सलाम को मबऊस फ़रमाया। ज़िंदगी गुज़ारने, मआशरा की इस्लाह और फ़लाह-ओ-बहबूदी के लिए क़ुरआन को न

यौम ए मीलाद मुस्तफ़ा ( स०अ०व०) तारीख कासिब से बड़ा मुतबर्रिक दिन

हुज़ूर पुरनूर स०अ०व० की इस दुनिया में तशरीफ़ आवरी का दिन तारीख़ आलम का सबसे बड़ा और मुतबर्रिक दिन क़रार पाया। आप के यौम-ए-विलादत बा सआदत की क़दर-ओ-मंजिलत दूसरे अय्याम से बढ़ कर है। आप ( स०अ०व०) की विलादत बासआदत ब वक़्त सुबह सादिक़ मक्का मुअ

बरोज़ महशर सबका राज़ खुल जाएगा

शहवत का ज़ोर तोड़ने के लिए रोज़ महशर की पेशी को याद करना ज़रूरी है, उस दिन की ज़िल्लत बड़ी और बुरी होगी। जो शख़्स दो लोगों के सामने अपनी ज़िल्लत बर्दाश्त नहीं कर सकता, वो सारी मख़लूक़ के सामने अपनी ज़िल्लत किस तरह बर्दाश्त करेगा, अल्लाह तआला का

क़ुरआन मजीद मतन और सीरत‍-ए‍-तैय्यबा अमली तफ़सीर

ये हक़ीक़त मुस्लिम है कि सिर्फ़ तालीम-ओ-तर्बीयत और अख़लाक़ पर मबनी किताबें हिदायत-ओ-रहनुमाई के लिए काफ़ी नहीं हो सकतीं, क्योंकि इक्तेदा और तक़लीद के लिए नमूना-ए-अमल और रहनुमा की ज़रूरत होती है। साथ ही रहनुमा की ज़िंदगी का हर पहलू निगाहों के

माली में अमरीकी पालिसी

माली-अमरीका माली में फ़्रांसीसी फ़ौजीयों की मदद कर रहा है। वो ट्रांसपोर्ट और फ़िज़ा में ईंधन भरने वाले तय्यारे और जासूसी की इत्तिलाआत भी फ़राहम कर रहा है। फ़्रांस और माली के फ़ौजी बाग़ीयों को मुसलसल पीछे धकेल रहे हैं। अमरीकी पाल

गज़नी- इस्लामी सक़ाफ़ती दारुल हुकूमत

काबुल 30 जनवरी- काबुल से 140 किलो मीटर दूर जुनूब मग़रिब में क़ंधार जाने वाली सड़क के किनारे वाके गज़नी शहर की शोहरत महमूद ग़ज़नवी की वजह से है। इसी वजह से वो इस साल का इस्लामी सक़ाफ़ती दारुल-हकूमत क़रार पाया है।

अज़मत‍-ए‍-मुस्तफा सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम

अज़मत ए मुस्तफा स०अ०व० को क़ुरआन मजीद के हवालों से समझने के लिए सबसे पहले हमें इस आयत-ए-करीमा के मफ़हूम पर ग़ौर करना चाहीए। अल्लाह तआला का इरशाद है बेशक अल्लाह और इसके फ़रिश्ते नबी (स०अ०व०)पर दरूद भेजते हैं, ए ईमान वालो तुम भी इन (नबी) पर दर

क्या अमीरी से हो रहा है दुनिया का नुकसान ?

गरीबी के खातमे के लिए काम करने वाली निजी तंज़ीम ऑक्सफैम का कहना है कि पिछले एक साल में दुनिया भर के 100 सबसे अमीर लोगों ने जितनी दौलत कमाई है उसका एक चौथाई हिस्सा भी दुनिया भर की गरीबी मिटाने के लिए काफी है।

लॉंग मार्च के सियासी जमातों पर मुसबत असरात

अदलिया, फ़ौज और सियासी ताक़तों ने पीपल्ज़पार्टी को ये हौसला दिया कि वो बिला ख़ोफ़-ओ-ख़तर आम इंतिख़ाबात की तरफ़ जा सकती है और कोई भी उस की राह में रुकावट नहीं बन सकता ,तहरीक मिनहाजुल-क़ुरआन के लॉंग मार्च के सबब मुल्की निज़ाम में क्य

माली में जंगी ऑप्रेशन और उसके असरात

माली 19 जनवरी- माली में जारी जंगी ऑप्रेशन के असरात उस के हमसाया ममालिक पर भी मुरत्तब हो रहे हैं। माली के हमसाया मुल्क अल-जज़ाइर में मुसलमान अस्करीयत पसंदों ने एक बड़ी मुसल्लह कार्रवाई के दौरान 41 ग़ैर मुल्कीयों को यरग़माल बना लिया ह

जिनका रुखे ज़ेबा आफ़ताब-ओ-महताब से ताबिंदा तर

माहे रबीउल अव्वल की आमद के साथ ही चार सौ बहारें छा जाती हैं, प्यार-ओ-मुहब्बत और अज़मत व एहतेराम के जज़बात उमंड़ने लगते हैं। हर तरफ़ ख़ुशीयों का समां होता है, क्योंकि इस माह-ए-मुबारक में ऐसी अज़ीम हस्ती की विलादत हुई, जिनकी वजह से ज़लालत-ओ-गुम