स्वामी गोड़ की मुश्किलात में इज़ाफ़ा , टी आर ऐस की दूरी, वज़ीफ़ा पर सुबकदोशी के बाद तमाम ख़ाब चकनाचूर

तेलंगाना एन जी ओज़ जवाइंट ऐक्शण कमेटी के साबिक़ सदर नशीन स्वामी गोड़ की वज़ीफ़ा पर सुबकदोशी के साथ ही उन की मुश्किलात में इज़ाफ़ा हो चुका है। एक तरफ़ आंधरा प्रदेश हाइकोर्ट ने तेलंगाना मुलाज़मीन को अराज़ी(जमीन) के पट्टा जात के अला

गुंटूर में बच्चा की फ़रोख़त , इंसानी हुक़ूक़ कमीशन की पुलिस से रिपोर्ट तलबी

आंधरा प्रदेश इंसानी हुक़ूक़ कमीशन के चीयरमैन जस्टिस निसार अहमद ककरो ने ज़िला गुंटूर में यौमिया उजरत पर मेहनत-ओ-मज़दूरी करने वाले गरीब माँ बाप की जानिब से अपने बच्चा को फ़रोख़त करने से मुताल्लिक़ रोज़नामा सियासत में शाय शूदा ख़ब

बरसात में वबाई अमराज़(बिमारी) का ख़दशा ,दवा ख़ानों में हुजूम ,एहतियात की ज़रूरत

(मुहम्मद जसीम उद्दीन निज़ामी) जहां तक मौसमी बीमारियों का मुआमला है , इसमें हुकूमत और अवाम दोनों की ग़फ़लत का अमल दख़ल ज़्यादा ज़िम्मेदार होता है,कियूं के डाक्टरों के मुताबिक़ अगर इस मौसम में मूसिर एहतियाती तदाबीर इख़तियार की जाए

हिमायत सागर-ओ-उसमान सागर के संग-ए-बुनियाद की तख़्तीयों की हिफ़ाज़त ज़रूरी

नुमाइंदा ख़ुसूसी – हैदराबाद दक्कन में संग-ए-बुनियाद की तख्तियां नसब करने का रिवाज सदीयों से चला आरहा है। क़ुतुब शाही-ओ-आसिफ़जाही हुकमरानों ने अपने हर प्रोजेक्ट को बिला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत अवाम की बहबूद के लिए शुरू किया लेकिन न

हमडा की मेहरबानी से हैदराबाद में खालिस्तान !!

एक वक़्त था जब खालिस्तान Khalistan का नाम लेने वालों को पंजाब या मुल्क के दीगर हिस्सों में गिरफ़्तार करलिया जाता । उन के ख़िलाफ़ मुल्क से ग़द्दारी के मुक़द्दमात दर्ज किए जाते थे । कोई भी हिंदूस्तानी खालिस्तान का नाम सुनना ही नहीं चाहत

ये, ज़कात और रमज़ान पैकेज की तक़सीम है या फिर रयाकारी

अबू ऐमल – शहर में माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान अपने ग़रीब भाईयों और बहनों की मदद के लिए कई मालदार-ओ-दौलतमंद हज़रात और मुख़्तलिफ़ तंज़ीमों की जानिब से रमज़ान पैकेज की तक़सीम अमल में आती है। इस पैकेज में चावल, दाल, शक्कर और तेल होता ह

ख़िलवत में मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स की तामीर (निर्माण ) के लिए हुकूमत का वाअदा वफ़ा (पूरा) ना हुआ ।

नुमाइंदा ख़ुसूसी – 5 जून 2011 को चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी के इन ब्यानात से गूंज रहा था जिस में उन्हों ने बार बार इस बात का वाअदा किया था कि वो पुराना शहर को नए शहर के मुमासिल (जैसा) बना देंगे । शहर के इस हिस्सा में अवाम (जनता) को तमाम

क़ब्रिस्तान की देढ़ एकर् अराज़ी (ज़मीन) पर नर्सरी बन गई मुस्लमान लाइल्म

नुमाइंदा ख़ुसूसी – आज जो इन्किशाफ़ हम कर रहे हैं इस से वाज़िह हो जाएगा कि औक़ाफ़ी जायदादों (पदों) को हड़पने में हुकूमत का क्या रोल रहा है । मूसा नदी के किनारे मुस्लिम जंग पुल से मुत्तसिल (सटे हुए) महिकमा हॉर्टीकल्चर पब्लिक गार्डन क

हामिद अंसारी , नायब सदर जमहूरीया ( उप राष्ट्रपति) के लिए दुबारा नामज़द , बी जे पी की मुख़ालिफ़त ( विरोध)

क़िस्मत ने भले ही मुहम्मद हामिद अंसारी को राष्ट्रपति भवन मुंतक़िल होने से रोक दिया लेकिन वो अनक़रीब ( जल्द) ऐसे सिर्फ़ दूसरे हिंदूस्तानी होने का रिकार्ड क़ायम करने वाले हैं जिन्हें बहैसीयत नायब सदर जमहूरीया मुतवातिर (लगातार) मीया

ज़रई यूनीवर्सिटी राजेंद्र नगर में एक और गैर आबाद मस्जिद की मौजूदगी का इन्किशाफ़

अबू ऐमल –  शहर और मज़ाफ़ाती (दूर-दराज के) इलाक़ों में ऐसा लगता है कि कई क़दीम (बहुत पूराने) क़ुतुब शाही मसाजिद को मुस्लमानों की नज़रों से छुपाया जा रहा है क्योंकि किसी ग़ैरत मंद मुस्लमान की नज़र उन मसाजिद पर पड़ जाए तो वो उसे आबाद कर

मुहम्मद मुर्सी ख़ाना-ए-काअबा में दौरान-ए-नमाज़ आबदीदा (रो पड़े)

मिस्री सदर (राष्ट्रपती ) डाक्टर मुहम्मद मुर्सी सऊदी अरब के दौरा के दौरान ख़ाना काअबा में नमाज़-ए-फ़ज्र में इस वक़्त फूट फूट कर रो पड़े जब इमाम ने क़ुरआन-ए-करीम की सूरा-ए-इबराहीम की एक आयत पढ़ी (तर्जुमा यूं है: और क्या तुम उन लोगों के घ

क्या मस्जिद का सदर ऐसा होता है ?

मस्जिद  की इंतिज़ामी कमेटी की सदारत के मसला पर 3 जुलाई को एक नौजवान मुहम्मद एजाज़ उर्फ़ अबदुल्लाह के क़तल ने मुस्लमानों के ज़हनों में ये सवाल पैदा किया है कि आख़िर मस्जिद इंतिज़ामी कमेटी का सदर हो तो कैसा हो । इस वाक़िया ने ऐसा लग

इस्लाम जुज़ वक़्ती(थोड़े दिनों के लिए ) शादी की इजाज़त नहीं देता

ख़लीजी ममलकत कुवैत के उल्मा किराम ने सऊदी अरब के शाही मुफ़्ती डाक्टर अबदुल्लाह अलमतलक़ के इस फ़तवे की खुल कर हिमायत की है जिस में उन्हों ने ख़लीजी रियास्तों में “मौसिम-ए-गर्मा की शादीयों के ज़ोर पकड़ते रुहजान पर तन्क़ीद करते हुए

मोअज्जन मक्का मस्जिद के ख़ानदान के साथ हुकूमत का मुआनिदाना(ना मोनासिब) रवैय्या

नुमाइंदा ख़ुसूसी- दीन इस्लाम में मोअज्जन हज़रात को काफ़ी अहमीयत दी गई। देनी-ओ-दुनयवी एतबार से उन का बहुत ऊंचा दर्जा बताया गया है। तारीख़ इस्लाम के मुताला से पता चलता है कि मोअज्जन हज़रात ने हर दौर में अहम ख़िदमात अंजाम दी हैं। अह

महबूबिया प्राइमरी-ओ-हाई स्कूल इनफ़रास्ट्रक्चर से महरूम

नुमाइंदा ख़ुसूसी- गर्वनमैंट महबूबिया प्राइमरी और हाई स्कूल शहर का क़दीम (पुराना) तरीन मशहूर स्कूल है । महबूबिया स्कूल का नाम सुनते ही हैदराबाद के हर शख़्स के ज़हन में इस तारीख़ी तालीम गाह की तस्वीर घूमने लगती है । शहर का बच्चा बच्

निज़ाम-ए- क़ज़ात काज़ियों के हाथों इस्तिहसाल का शिकार!

अब्बू ऐमल शहर में काज़ियों की जानिब से निकाह की फीस मनमानी वसूल किये जाने की शिकायतें आम हैं । यहां तक कि तलाक़-ओ-ख़ुला के वाक़ियात में भी काज़ियों की जानिब से फ़रीक़ैन का इस्तिहसाल किया जा रहा है । अवामी शिकायात को मद्द-ए-नज़र रखत

मीर फ़ज़ल अली ख़ां बहादुर सालिस का महल अपने वुजूद को बाकी रखने का मुंतज़िर

नुमाइंदा ख़ुसूसी- यूं तो पूरा हिंदूस्तान क़दीम(पुरानी) और तारीख़ी आसार से भरा हुआ है । हिंदूस्तान के कोने कोने में आलीशान , पुरसुकून और शाहकार-ओ-शानदार क़दीम(पुरानी) तरीन इमारतें नज़र आती हैं जिन की वजह से हिंदूस्तान तमाम दुनिया

अफ़्ग़ानिस्तान पर कान्फ्रेंस

हिंदूस्तान ने अफ़्ग़ानिस्तान में ख़ानगी शोबा की बैन-उल-अक़वामी (अंतर्राष्ट्रीय) सरमाया कारी (investor’s/ निवेशको) को फ़रोग़ देने के लिए बहुत जल्द कान्फ्रेंस मुनाक़िद ( आयोजित सम्मेलन) करने का फ़ैसला एक ऐसे वक़्त किया है जब चीन भी अफ़्ग़ानिस्तान

अडवानी-मोदी में टकराव

बी जे पी में इन दिनों दरार की कैफ़ीयत उभर रही है। 1990 में मुल्क को फ़िर्कापरस्ती की आग में झोंकने के लिए यात्राएं निकालने वाले पार्टी के सीनीयर लीडर एल के अडवानी और गुजरात के मुस्लिम कश फ़सादाद के ज़रीया सैक़्यूलर हिंदूस्तान की पेशानी क