पार्लीमैंट(संसद) का पूरा मानसून सैशन कोलगेट अस्काम की भेंट होने की संभावना
कोयला ब्लॉक तख़सीस रद्द करने सुषमा स्वराज की मांग, ऐसा संभव नहीं: पवन कुमार बंसल, सीबीआई टीमें छत्तीसगढ़ और झारखंड रवाना
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आमिर अली ख़ां- वज़ीर आज़म (प्रधानमंत्री)डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि वो पाकिस्तान का दौरा करने तय्यार हैं लेकिन इस के लिए साज़गार माहौल होना चाहीए । डाक्टर सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का इस बात में भी इमतिहान है कि वो मुंबई हमला के मरत
नरोडा पाटिया नरसंहार गोधरा ट्रेन अग्निकांड के अगले दिन 28 फरवरी 2002 को हुआ था। गुजरात दंगों के दौरान क्रूरतम घटनाओं में से एक इस नरसंहार में दंगाइयों ने नरोडा पाटिया इलाके को घेर कर 97 लोगों की हत्या कर दी थी। गवाहों ने कोर्ट में बताया
आमिर अली खान- इस्लामी इन्क़िलाब के आला तरीन क़ाइद आयत उल्लाह सय्यद अली ख़ामना ई ने ग़ैर जानिबदार तहरीक की सोलहवीं चोटी कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए शुरका(उपस्थिति) से ख़ाहिश की कि फ़लस्तीन के मसला पर ख़ुसूसी तवज्जा मर्कूज़ करे
आसाम के बदतरीन फ़सादात और मुल़्क की तारीख़ में अब तक के सब से बड़े नक़ल मुक़ाम के बावजूद मर्कज़ी और रियास्ती हुकूमत का तर्ज़ अमल देख कर ऐसा महसूस होता है कि उन्हें मुतास्सिरीन के मसाइब-ओ-मुश्किलात की कोई परवाह नहीं। कांग्रेस पार
आमिर अली ख़ान – गैर जानिबदार तहरीक नाम की सोलहवीं चोटी कान्फ़्रैंस से क़ब्ल वज़ीरख़ारिजा एस एम कृष्णा ने कहा कि हिंदूस्तान को उमीद है कि इरान के साथ बाहमी तआवुन (आपसी मदद)खास तौर पर मआशी (आर्थिक) शोबा में फ़रोग़ पाएगा।
नुमाइंदा ख़ुसूसी– आम तौर पर कहा जाता है कि हिंदूस्तान को तीन चीज़ों से संगीन मसाइल (समस्या) का सामना है और वो तीन चीज़ें ये हैं। पापुलेशन (आबादी) , पोल्यूशन (आलूदगी) और पालीटिशयन (सियासतदां) । इन तीन चीज़ों के बाइस मुल्क में ग़ुर्बत,
अब्बू ऐमल- क़ारईन आज हम अपनी रिपोर्ट का आग़ाज़ आप लोगों से एक पहेली (मसला) पूछते हुए करते हैं। पहेली ये है के शहर की वो कौनसी मस्जिद है जिस में आज तक कोई जनाज़ा नहीं ले जाया जा सका। कोई नमाज़ जनाज़ा नहीं पढ़ाई गई। हम आप को इस मस्जिद के
हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद के मुस्लमानों के जज़बा सिला रहमी , हमदर्दी मुहब्बत-ओ-मुरव्वत इंसानियत नवाज़ी , ग़मगुसारी , गरीब पर्वरी को हिंदूस्तान भर में बड़ी इज़्ज़त की निगाह से देखा जाता है जब कि बाअज़ फ़िर्क़ा परस्तों को इस तारी
फ़लक नुमा बस डिपो इंजन बाउली का बाब उल दाखिला आजकल हर किसी की तवज्जा का मर्कज़ बना हुआ है । वहां से गुज़रने वाले की नज़र जब इस बाब उल दाखिला पर पड़ती है तो वो कुछ देर के लिये रुक कर इस कमान ( बाब उल दाखिला ) का नज़ारा ज़रूर करता है ।
दोनों शहरों हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद में ईद उल फ़ित्र का जोश-ओ-ख़ुरोश के साथ एहतिमाम किया गया । फ़रज़ंदाँने तौहीद ने बड़ी तादाद में ईदगाहों-ओ-मसाजिद को पहुंच कर नमाज़ ईद अदा की । ईद उल फ़ित्र का सब से बड़ा अज़ीम उल-शान इजतिमा ईदगाह मी
सऊदी अरब की मेज़बानी में इस्लामी तआवुन तंज़ीम ओ आई सी के 57 मैंबर ममालिक का मक्का मुकर्रमा में मुनाक़िदा (आयोजित ) दो रोज़ा चोटी इजलास इख़तताम पज़ीर होगया है। कान्फ़र्स के आलामीया(घोषणा पत्र ) में बर्मा और शाम समेत दुनिया भर के मज़ल
चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने साबिक़ पुलिस कांस्टेबल अबदुलक़दीर के अफ़राद ख़ानदान को तीक़न दिया कि वो मुस्तक़िल रिहाई के सिलसिला में हमदर्दाना ग़ौर करेंगे और महिकमा क़ानून की राय हासिल करने के बाद हुकूमत कोई मुसबत क़दम उ
नुमाइंदा ख़ुसूसी- दोनों शहरों बिलख़सूस हैदराबाद में ईद की तैय्यारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी हैं। रमज़ान उल-मुबारक के चंद दिन ही बाक़ी रह गए हैं। रोज़ों-ओ-इबादात का ये बाबरकत महीना बड़ी तेज़ी से गुज़र रहा। कब दिन होरहा है और कब रात हो र
अमेरीका ने बंगला देश पर ज़ोर दिया है कि वो इंसानी भलाई और बहबूद (भलाई) से मुताल्लिक़(सबंध) बैन अक़वामी तंज़ीमों को रोहन गया पनाह गज़ीनों तक इमदाद पहुंचाने की इजाज़त दे जो पड़ोसी (मुल्क) बर्मा में फ़िर्कावाराना मोहलिक फ़सादाद से अप
अगर आप से कोई ये कहे कि आप की जेब या पर्स में एक ऐसा आला है जो इस बात की पूरी पूरी ख़बर रखता है कि आप कहां जा रहे हैं, कहां से आरहे हैं, किस से बात कर रहे हैं और किस मुक़ाम पर मौजूद हैं यहां तक कि आप ने कहां कहां ख़रीदारी की है, क्या चीज़ें ख
हमारे प्यारे नबी (स०अ०व०) का इरशाद मुबारक है लेने वाले हाथ की बनिसबत देने वाला हाथ बेहतर है । इस हदीस मुबारका का मफ़हूम ये है कि अल्लाह ताला के हाँ मांगने या किसी के आगे हाथ फैलाने से बेहतर ये है कि किसी को दिया जाय और यही अमल बारगाह र
लैलतुल क़दर के मौक़ा पर मुक़द्दस सरज़मीन मक्का मुअज़्ज़मा में ख़ादिम हरमैन शरीफ़ैन शाह अबदुल्लाह बिन अबदुल अज़ीज़ की मेज़बानी में मुनाक़िद होने वाली आलमी मक्का चोटी कान्फ़्रैंस आलम इस्लाम के इत्तिहाद का मज़हर होगी । ये इस्ला
(मो जसीम उद्दीन निजामी) मोबाइल फ़ोन अब हमारी ज़िंदगी का लाज़िमी हिस्सा बन चुका है जिस से अब फ़रार मुम्किन नहीं , मगर हमारी नई नसलें इस जदीद टैक्नालोजी का ग़लत मक़सद के लिए इस्तिमाल कर रही हैं जिस से ना सिर्फ उन के अख़लाक़ और किरदार त