मिस्र की अदालत में इख़वान अलमुस्लिमीन के 15 अरकान को उम्र क़ैद

क़ाहिरा

मिस्र की एक फ़ौजी अदालत ने आज इख़वान अलमुस्लिमीन के 15 अरकान को उम्र क़ैद की सज़ा-ए-सुनाई क्योंकि वो सोइज़ गुरू नरीट में 2013 के खूँरेज़ तशद्दुद में मुलव्विस थे।

इखलास और अल्लाह की रजा

जो अमल इखलास से किया जाता है उसमें ऐसी जुर्रत, मुस्तैदी और जोश होता है कि शैतान ऐसे शख्स पर गलबा नहीं पा सकता है और न ही उसे गुमराह कर सकता है। शैतान खुद कहता है- और मैं जरूर गुमराह करूंगा उन सबको सिवाए तेरे उन बन्दों के जिन्हें उनमें

अज़मते क़ुरआन मुक़द्दस हर हाल में बरक़रार रखा जाये

मुफ़्ती ज़मीम अहमद साहब मिस्बाही (दार-उल-उलूम अहलेसुन्नत अहमदिया बग़दादिया, शतरंजी पूरा, नागपुर) ने अपने एक ख़िताब के दौरान कहा कि औलिया-ए-किराम की मज़ारात पर कुर्आनी आयात लिखी हुई चादरें हरगिज़ ना चढ़ाए और ना ही इन चादरों को खरीदें।

जहेज़ की शादियों के बाईकॉट करने उल्मा का फैसला

बिहार, झारखंड और ओडीशा में जहेज़ के ख़ाहिशमंद अफ़राद और नशे की आदत में शामिल‌ अफ़राद के लिए अब शादियां करना मुश्किल होजाएगा क्यों कि यहां उल्मा ने फैसला किया है कि इस तरह के अफ़राद की शादियों का बाईकॉट किया जाएगा।

66 वां आलमी तब्लीग़ी इजतिमा खत्म‌

भोपाल में तीन‌ रोज़ा 66 वां आलमी तब्लीग़ी इजतिमा खत्म‌ हुआ, जहां मुसल्मानों की फ़लाह-ओ-बहबूद और मुल्क में अमन-ओ-ख़ुशहाली केलिए रक्त अंगेज़ इजतिमाई दुआ की गई जिस में हिंदुस्तान के इलावा दीगर बैरून-ए-मुमालिक से 11 लाख मुसल्मानों ने शिरकत क

बच्चे की तर्बियत में मां बाप का अहम रोल

बच्चा जिंदगी में सही सिम्त में आगे बढ़े, उसे गलत और सही की समझ हो और इन सबके बाद वह जिंदगी में सही फैसला ले और कामयाबी की मंजिले तय करता चला जाए यह तमाम ख्वाहिशे वाल्दैन की होती है। लेकिन सिर्फ ख्वाहिशे रखने से ही बच्चा इन तमाम खूबिय

पसंदीदा बंदा कौन?

हज़रत साद रज़ी० से रिवायत है कि रसूल करीम स०अ०व० ने फ़रमाया यक़ीनन अल्लाह तआला इस बंदा को बहुत पसंद फ़रमाता है, जो मुत्तक़ी-ओ-ग़नी और गोश्ता नशीन हो। (मुस्लिम)

नादान इंसान की मिसाल

हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० से रिवायत है कि रसूल करीम स०अ०व० ने फ़रमाया (शिद्दत-ओ-सख़्ती और होलनाकी के ऐतबार से) मैंने दोज़ख़ की आग की मानिंद ऐसी कोई चीज़ नहीं देखी कि इससे भागने वाला सोता रहे और (सुरूर-ओ-शादमानी के ऐतबार से) मैंने जन्नत की मानि

अल्लाह तआला के 99 नाम

अल्लाह तआला के नामों के बारे में बुजुर्गों ने कहा है कि अल्लाह त’आला के तीन हजार नाम हैं। एक हजार अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता और एक हजार वे हैं, जो फरिश्तों के सिवा कोई नहीं जानता और एक हजार वे जो पैगम्बरों से हम तक पहुंचे हैं, जिनमे

उन्तीसवां रोजा : अपने मुल्क के लिए करें दुआ

आज उन्तीसवां रोज़ा है। अगर ईद का चांद आज शाम को नज़र आता है तो माहे-रमज़ान के आख़िरी अशरे यानी दोज़ख से निजात के अशरे (नर्क से मुक्ति का कालखंड) का यह आख़िरी रोज़ा होगा। लेकिन आज चांद नज़र नहीं आता है तो इंशाअल्लाह तआला कल तीसवां और आ

अट्ठाईसवां रोजा : जन्नत का हकदार

क़ुरआने-पाक के तईसवें पारे (अध्याय-23) की सूरह ‘साफ्फात’ की पचहत्तरवीं आयत में अल्लाह का इरशाद (आदेश) है- ‘और हमको नूह ने पुकारा सो हम खूब फरियाद सुनने वाले हैं।’

सत्ताइसवां रोजा : रहमत बरस रही हैं माहे मुबारक में

आज सत्ताईसवां रोजा है। कल छब्बीसवां रोजा और शबे-क़द्र की तलाश (सत्ताईसवीं रात) साथ-साथ थे। यहाँ यह बात जानना जरूरी है कि छब्बीसवां रोजा जिस दिन होगा, उसी शाम गुरुबे-आफ़ताब के बाद (सूर्यास्त के पश्चात) सत्ताईसवीं रात शुरू हो जाएगी, ज

छब्बीसवां रोजा :नुजूल-ए-कुरआन की मुकद्दस रात

जिस दिन छब्बीसवां रोजा होता है, उस तारीख़ को माहे-रमजान की सत्ताईसवीं रात होती है। इस रात को ही अमूमन शबे-कद्र (अल्लाह की मेहरबानी की खास रात) शुमार किया जाता है।

पच्चीसवां रोजा : गुरूर अल्लाह तआला को नापसंद

अल्लाह तआला की मेहरबानी से माहे-रमजान का कारवां पच्चीसवें रोजे तक पहुंच गया है। दोजख से निजात का अशरा (नर्क से मुक्त का कालखंड) चल रहा है।