दुनिया दारुल महन (कैदखाना) है

नहीं पहुंचती (किसी को) बजुज़ अल्लाह के इज़्न के और जो शख़्स अल्लाह पर ईमान ले आए अल्लाह इसके दिल को हिदायत बख्शा है, और अल्लाह तआला हर चीज़ को ख़ूब जानने वाला है। (सूरा अल तग़ाबुन।११)

मौत से हरगिज़ ग़ाफ़िल ना हों

हज़रत इब्ने अब्बास रज़ी० से रिवायत है कि (कभी ऐसा होता कि) रसूल करीम स०अ०व० पेशाब करने के बाद (और व़ज़ू करने से पहले) मिट्टी से तयम्मुम कर लेते। मैं (यानी इब्ने अब्बास ये देख कर) अर्ज़ करता कि या रसूलूल्लाह ! पानी तो आपके बहुत क़रीब है?

सैयदना उमर फ़ारूक़ ने बेटे का माल बैत-उल-माल में जमा करने का हुक्म दिया

अहद फ़ारूक़ी में बैत-उल-माल के इंचार्ज मकीब बयान करते हैं कि सैयदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० ने एक मर्तबा दोपहर के वक़्त मुझे बुलाया। जब मैं उनकी ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो वो अपने बेटे आसिम को किसी बात पर डांट रहे थे।

है सबके लबों पर तराना रज़ा का

आला हज़रत मौलाना अहमद रज़ा ख़ान फ़ाज़िल बरेलवी रह० की विलादत १० शव्वाल अल मुकर्रम १२७२ हि० क़ो हुई। आपने चार साल की उम्र में नाज़रा-ए-क़ुरआन मजीद की तकमील की। ज़हानत-ओ-फ़तानत अल्लाह तआला ने आप को ख़ूब अता किया था। बेशतर इल्म वालिद साहिब से हा