‘मदरसे इस्लाम के मजबूत किले’
दारुल एहसान डरबन (अफ्रीका) के चेयरमैन मुफ्ती जुबैर हयात कासमी की कियादत में अफ्रीका से आए वफद का जामिया हकीमुल इस्लाम में जोरदार इस्तेकबाल किया गया। इस दौरान मदरसा के तुलबा ने तालीम पर शानदार तकरीर पेश किए।
दारुल एहसान डरबन (अफ्रीका) के चेयरमैन मुफ्ती जुबैर हयात कासमी की कियादत में अफ्रीका से आए वफद का जामिया हकीमुल इस्लाम में जोरदार इस्तेकबाल किया गया। इस दौरान मदरसा के तुलबा ने तालीम पर शानदार तकरीर पेश किए।
हज़रत अनस ररज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया में (मेराज की रात में) जन्नत की सैर कर रहा था कि अचानक मेरा गुज़र एक नहर पर हुआ, जिस के दोनों तरफ़ मोतीयों के गुम्बद थे। मैंने
और हम ने बना दिया है तुम्हारी नींद को बाइस आराम। (सूरत उलनबा।९)
हज़रत अबी बिन काब रज़ी अल्लाहु तआला अनहु बयान करते हैं कि जब दो तिहाई रात गुज़र जाती तो हुज़ूर नबी करीम (स०) (तहज्जुद की नमाज़ के लिए) उठते और फ़रमाते लोगो!
और उन्होंने बड़े बड़े मकर-ओ-फ़रेब किए। (सूरह नूह२२)
ये रईस लोग ख़ुद ही गुमराह और बदकार ना थे, बल्कि वो इस कोशिश में लगे रहते कि अवाम भी हज़रत नूह अलैहिस्सलाम से दूर रहें और उनके दीन को क़बूल ना करें।
हज़रत अबूहरैरह रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया क़िस्म है उस ज़ातेपाक की, जिस के हाथ में मेरी जान है, (पूरी दुनिया उस वक़्त तक फ़ना नहीं होगी, जब तक लोगों पर एसा दिन (यानी बदअमनी-ओ-इंतिशार फ़ित्ना-ओ-फ़साद की शिद्दत इं
रहमान ने (अपने हबीब स०को) सिखाया है क़ुरआन। पैदा फ़रमाया इंसान को, (नीज़) उसे क़ुरआन का बयान सिखाया। (सूरा उलरहमन।१ता४)
हज़रत मिक़दाद रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि मैंने रसूल क्रीम(स०) को फ़रमाते हुए सुना कि क़ियामत के दिन (मैदाने हश्र में) सूरज को मख़लूक़ के नज़दीक कर दिया जाएगा, यहां तक कि वो उन से एक मिल के फ़ासिले पर रह जाएगा।
पाबंदी करो सब नमाज़ों की और (ख़ुसूसन) दरमयानी नमाज़ की और खड़े रहा करो अल्लाह के लिए आजिज़ी करते हुए। (सूरत अलबक़रा।२३८)
फलाहे उम्मत गर्ल्स डिग्री कालेज व मदरसा फलाहुल मोमिनात के जेरे एहतमाम दो रोज़ा सालाना फलाहे इंसानियत कांफ्रेन्स का हफ्ते के रोज़ से आगाज हुआ। इस दौरान कालेज की तालिबात व बाहर आई आलिमात ने अलग अलग मौजू पर तकरीर की।
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु कहते हैं कि रसूल करीम (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने फ़रमाया एसा कोई नबी नहीं गुज़रा, जिस ने अपनी उम्मत को छोटे काना(यानी दज्जाल)से ना डराया हो। आगाह रहो!
जिस रोज़ पर्दा उठाया जाएगा एक साक से तो उन (नाबकारों) को सजदा की दावत दी जाएगी तो उस वक़्त वो सजदा ना करसकेंगे। (सूरत उल-क़लम।४२)
जुनूबी अफ्रीका में एज़ाज़ याफ्ता दारुल उलूम देवबंद वक्फ के मोहतमिम मौलाना सालिम कासिमी का शाहपीर जदीद वाकेय् मदरसा नूर उल इस्लाम में इस्तेकबाल किया गया। शाहपीर गेट के पास वाकेय् इस मदरसे में तकरीर करते हुए मौलाना कासिमी ने कहा क
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी अल्लाह ताली अन्ना से रिवायत है कि अब्बू अलक़ासिम (हज़रत मुहम्मद मसतफ़ा(स०)ने फ़रमाया क़िस्म है उस ज़ात की, जिस के क़बज़ा क़ुदरत में मेरी जान है। अगर तुम उस चीज़ को जान लो जिस को में जानता हूँ तो यक़ीनन तुम्हारा रोना ज़्याद
जो ईमान लाए हैं वो जंग करते हैं अल्लाह की राह में और जो काफ़िर हैं वो जंग करते हैं ताग़ूत की राह में, तो (ए ईमान वालो!) लड़ो शैतान के हामीयों से, बेशक शैतान का फ़रेब कमज़ोर है। (सूरत अलनिसा-ए-।७६)
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि रसूल करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमाया अनक़रीब गूंगे, बहरे और अंधे फ़ित्ने का ज़हूर होगा, जो शख़्स इस फ़ित्ना को देखेगा और इस के क़रीब जाएगा, वो फ़ित्ना उस को देखेगा और इस के क़री
ए ईमान वालो!
उत्तरप्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर फ़साद में जहां सियासी पार्टियों का रोल ग़ैर इतमीनान बख्श रहा वहीं मुस्लिम तनज़ीमों ने मुसीबत ज़दों और मज़लूमीन की मदद और रीलीफ़ के कामों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। जो वक़्त की अहम ज़रूरत और मुसीबत ज़दा भाईयों की
हज़रत मक़दाम बिन मादीकर्ब रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि मैंने रसूल (स०) को ये फ़रमाते हुए सुना कि इंसान (अगर अपने पेट् को हद से ज़्यादा भर ले तो इस) ने पेट से बरतर कोई बर्तन नहीं भरा (क्यूंकि पेट को ज़्यादा भरने से जो बुराईयां और ख़
जब आसमान फट जाएगा, और जब सितारे बिखर जाऐंगे, और जब समुंद्र बहने लगेंगे, और जब क़ब्रें ज़ेर-ओ-ज़बर करदी जाएंगी, (उस वक़्त) जान लेगा हर शख़्स जो (आमाल) इस ने आगे भेजे थे और जो (असरात) वो पीछे छोड़ आया था। (सूरत अलानफ़तार। १ता५)