हलाल-ओ-हराम में फ़र्क़ करो
ए इनसानो! खाव इस से जो ज़मीन में है हलाल (और) पाकीज़ा (चीज़ें) और शैतान के क़दमों पर क़दम ना रखू, बेशक वो तुम्हारा खुला दुश्मन है। (सुरतुल बक़रा ।१६८)
ए इनसानो! खाव इस से जो ज़मीन में है हलाल (और) पाकीज़ा (चीज़ें) और शैतान के क़दमों पर क़दम ना रखू, बेशक वो तुम्हारा खुला दुश्मन है। (सुरतुल बक़रा ।१६८)
रियास्ती वज़ीर छोटी आबपाशी-ओ-सीमा कांग्रेस क़ाइद टी जी वेंकटेश ने अपनी एक नई मंतिक़ करते हुए कहा कि तेलंगाना की तशकील दस्तूर हिंद की दफ़ा 371-D की तरमीम के बगै़र मुम्किन नहीं है और 371-D में तरमीम के लिए पार्लियामेंट में दो तिहाई अक्सरीय
यह एक अजीब इत्तेफाक है कि दसवी मोहर्रम के दिन तारीखे इस्लामी के दो अहम वाकियात पेश आए। एक यौमे आशूरा दूसरा शहादते इमाम हुसैन (रजि०)। तारीखी एतबार से इस दिन की बड़ी फजीलत और अहमियत है। इसलिए रमजान के रोजो के बाद मोहर्रम के दो रोजों क
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) से दरयाफ़त किया गया कि कौन आदमी बेहतर है?
और हम ज़रूर आज़माऐंगे तुम्हें किसी एक चीज़ के साथ यानी ख़ौफ़ और भूक और कमी करने से (तुम्हारे) मालों और जानों और फलों में और ख़ुशख़बरी सुनाईए इन सब्र करने वालों को जो कि जब पहुंचती है उन्हें कोई मुसीबत तो कहते हैं बेशक हम सिर्फ़ अल्लाह ही के
और हम ज़रूर आज़माऐंगे तुम्हें किसी एक चीज़ के साथ यानी ख़ौफ़ और भूक और कमी करने से (तुम्हारे) मालों और जानों और फलों में और ख़ुशख़बरी सुनाईए इन सब्र करने वालों को जो कि जब पहुंचती है उन्हें कोई मुसीबत तो कहते हैं बेशक हम सिर्फ़ अल्लाह ही के
पिछले साल हमारे एक मालदार बुजुर्ग दोस्त का एक मुख्तसर बीमारी के बाद इंतेकाल हुआ। वह बड़े ही इल्म दोस्त और दीन पसंद थे। अल्लाह ने उन्हें हर तरह से नवाजा था, किसी चीज की उनके यहां कमी नहीं थी। खुद भी हमेशा अच्छा खाते उससे अच्छा और उम्
हज़रत मुहम्मद बिन अब्बू अमीरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु जो रसूल क्रीम (स०अ०व०) के सहाबा में से हैं, फ़रमाते हैं कि अगर कोई बंदा अपनी पैदाइश के वक़्त से बुढ़ापे में मरने तक (अपनी पूरी और तवील ज़िंदगी के दौरान) सिर्फ़ ख़ुदा की
और तुम ना बुरा भला कहो उन्हें जिन की ये प्रसतिश करते हैं अल्लाह के सिवा (एसा ना हो) कि वो भी बुरा भला कहने लगीं अल्लाह को ज़्यादती करते हुए जहालत से।
और तुम ना बुरा भला कहो उन्हें जिनकी ये परसतिश करते हैं अल्लाह के सिवा (ऐसा ना हो) कि वो भी बुरा भला कहने लगें अल्लाह को ज़्यादती करते हुए जहालत से। यूं ही आरास्ता कर दिया है हम ने हर उम्मत के लिए इनका अमल फिर अपने रब की तरफ़ ही लौट कर आना ह
हज़रत मुहम्मद बिन अबू उमैरा रज़ी० जो रसूल करीम स०अ०व० के सहाबा में से हैं, फ़रमाते हैं कि अगर कोई बंदा अपनी पैदाइश के वक़्त से बुढ़ापे में मरने तक (अपनी पूरी और तवील ज़िंदगी के दौरान) सिर्फ़ ख़ुदा की इताअत-ओ-इबादत में सरंगू रहे तो वो भी इस (
हज़रत अबदु अल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाह ताअला अन्ना से रिवायत हैके रसूल क्रीम (स०अ०व०) ने फ़रमाया क़ियामत के दिन अल्लाह ताअला मेरी उम्मत में से एक शख़्स को तमाम मख़लूक़ात के सामने तलब करेगा और इसके सामने गुनाहों के रजिस्टर खोल कर डाल देगा,
और यहूदीयों ने भी (मसीह अलैहिस्सलाम को क़तल करने की) खु़फ़ीया तदबीर की और (मसीह अलैहिस्सलाम को बचाने के लिए) अल्लाह ने भी खु़फ़ीया तदबीर की और अल्लाह सब से बेहतर (और मवसर) खु़फ़ीया तदबीर करने वाला है। (सूरा आल इमरान।५४)
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके रसूल क्रीम(स०अ०व०) ने फ़रमाया क़ियामत उस वक़्त तक नहीं आएगी जब तक कि ज़माना क़रीब ना हो जाएगा (यानी ज़माने की गर्दिश तेज़ ना हो जाएगी और दिन रात जल्द जलद ना गुज़रने लगेंगे और ज़माने की तेज़ रफ़्ता
ऐ हमारे रब! भेज इन में एक नेक रसूल इन्हीं में से ताके पढ़ कर सुनाए उन्हें तेरी आयतें और सिखाय उन्हें ये किताब और दानाई की बातें और पाक साफ़ करदे उन्हें, बेशक तू ही बहुत ज़बरदस्त (और) हिक्मत वाला है। (सूरत अलबक़रा।१२९)
मक्का मुकर्रमा में आंध्र प्रदेश के आज़मीन-ए-हज मिना को रवांगी की तैयारीयों में हैं और तमाम आज़मीन बेहतर सेहत के साथ फ़रीज़ा हज की अदायगी के मौक़िफ़ में हैं। स्पैशल ऑफीसर रियास्ती हज कमेटी प्रोफ़ेसर एस ए शकूर ने आज आज़मीन-ए-हज के साथ मौज
हज़रत अब्बूबकर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके एक शख़्स ने रसूल(स०अ०व०) से पूछा या रसूल अल्लाह!(स०अ०व०) कौनसा आदमी बेहतर है?।
ए ईमान वालो!
हज़रत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत हैके हुज़ूर नबी करीम (स०अ०व०) ने फ़रमाया इंसान की बुराई के लिए इतना काफ़ी हैके दिन या दुनिया के एतेबार से उसकी तरफ़ उनगलीयों से इशारा किया जाये,ये कि किसी को अल्लाह ताआला ही महफ़ूज़ रखे। (बीहक़ी)
मिसाल उन लोगों की जो ख़र्च करते हैं अपने मालों को अल्लाह की राह में एसी है जैसे एक दाना जो उगाता है सात बालें (और) हर बाल में सौ दाना हो और अल्लाह ताआला (इस से भी) बढ़ा देता है जिस के लिए चाहता है और अल्लाह वसीअ बख़शिश वाला जानने वाला है। (स