ख़ानक़ाहें तर्बीयत ओ किरदार साज़ी के मराकीज़
ज़ेर तरबियत अफ़राद से मुहब्बत रखना और उन की ख़ुशी को अपनी ख़ुशी जानना और उन के दुख दर्द को अपना दुख दर्द समझना और उन की दिलजोई का सामान करना ,अमली तौर पर इन से कुछ कोताहियां होरही होँ तो हकीमाना उस्लूब इख़तेयार करके उन को मौक़ा व महल की