रामनाथ गोयनका पुरूस्कार: “पुरूस्कार मिलना सम्मान की बात लेकिन मोदी से नहीं ले सकता”

नई दिल्ली: पत्रकारिका के क्षेत्र में काम करने वाले हर शख्स का ये ख्व़ाब होता है कि उसे रामनाथ गोयनका पुरूस्कार मिले. इस तरह के पुरूस्कार आपके काम की तारीफ़ और आपका हौसला दोनों ही बढाते हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया के पत्रकार अक्षय मुकुल को भी ये प्रतिष्ठित सम्मान हासिल हुआ है लेकिन वो इस अवार्ड को ख़ुद नहीं लेना चाहते. उनका कहना है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इस पुरूस्कार को स्वीकार नहीं कर सकते. इसी कारणवश उन्होंने अपना पुरुस्कार लेने अपनी तरफ़ से एक मित्र को भेज दिया.

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पिछले सालों में उर्दू को काफ़ी नुक़सान हुआ है और आज वो दौर है जबकि उर्दू बोली तो जाती है लेकिन बोलने वाले भी उर्दू-लिपि नहीं पढ़ पाते और शायद यही कारण है कि वो पुरानी उर्दू की दुकाने जहां किसी दौर में रौनक का माहौल होता था मायूस सन्नाटों से गुज़र रही हैं.