सेवानिवृत्त डीएसपी का खुलासा, सीबीआइ लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना की मदद मांगी थी

रांची: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अौर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद शुक्रवार को चारा घोटाला से जुड़े चार मामलों में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में हाजिर हुए. इनमें दो मामलों में बचाव पक्ष की अोर से गवाही दर्ज हुई.
चाईबासा कोषागार से हुई 33. 61 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़े मामले आरसी 68ए/96 में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में गवाही दर्ज की गयी. गवाही सैयद कमाल हसन (सेवानिवृत्त डीएसपी पटना) अौर बिहार विधानसभा के सेवानिवृत्त अंडर सेक्रेटरी राजेंद्र खां की हुई. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में आरसी 64ए/96 मामले में भी इन गवाहों की गवाही दर्ज की गयी.
सेवानिवृत्त डीएसपी सैयद कमाल हसन ने कहा कि 1997 में वह पटना के सचिवालय थाना के प्रभारी के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री निवास (एक अणे मार्ग) उनके क्षेत्राधिकार में आता था. 1997 में सीबीआइ ने लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सेना की मदद मांगी थी. जब लालू प्रसाद ने पटना सिविल कोर्ट स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में आत्मसमर्पण किया, तो वह उस समय मौजूद थे. सीबीआइ के अधिवक्ता के इस सवाल पर कि लालू प्रसाद की गिरफ्तारी के लिए सीबीआइ के द्वारा सेना से मदद मांगी गयी थी, यह जानकारी आपको कैसे मिली? कमाल हसन ने कहा कि मुझे अपने विश्वसनीय सोर्स से यह जानकारी मिली थी. अधिवक्ता ने पूछा कि क्या आपने इस जानकारी को थाना के रिकार्ड में इंट्री की थी? कमाल हसन ने कहा कि मैंने इंट्री नहीं की थी. क्या इंट्री करना है अौर क्या नहीं यह थाना प्रभारी के विवेक पर निर्भर करता है. दूसरे गवाह राजेंद्र खां ने बिहार विधानसभा की कार्रवाई से संबंधित जानकारी दी. सीबीआइ के अधिवक्ता ने पूछा कि क्या 1990 से 96 के दौरान बिहार विधानसभा/विधानपरिषद के  अनेक सदस्यों के द्वारा पशुपालन विभाग में हुई गड़बड़ियों से संबंधित सवाल पूछे जाने की जानकारी उन्हें है? इस पर राजेंद्र खां ने कहा कि मुझे यह जानकारी नहीं है. लालू प्रसाद ने आरसी 38 ए/96 अौर आरसी 47ए/96 में भी अपनी हाजिरी दर्ज करायी.
रेलवे को हमने चमकाया भाजपा ने सिग्नल गिराया
राजद सुप्रीमो व पूर्व रेलमंंत्री लालू प्रसाद ने कहा कि रेलवे को हमने चमकाया था. घाटे के सौदे को मुनाफे में लाया, लेकिन भाजपा ने उसका सिग्नल ही गिरा दिया. रेलवे को निजीकरण की तरफ धकेल दिया. लालू प्रसाद शुक्रवार को  सीएजी द्वारा जारी उस रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें रेलवे की कैटरिंग में दिये जा रहे खराब खाने का जिक्र है. वह मोरहाबादी स्थित राजकीय अतिथिशाला में चारा घोटाले मामले में हाजिरी से लौटने के बाद पत्रकारों के सवालों के जवाब दे रहे थे. रेलवे की वर्तमान व्यवस्था से नाराज लालू प्रसाद ने कहा कि आज रेलवे में कोई सुविधा नहीं है. प्लेटफॉर्म की स्थिति खराब है. उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे को हमने दुनिया तक पहुंचाया. इसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिले थे. यही नहीं विदेशों से छात्र यहां की रेलवे व्यवस्था पर स्टडी करने आये थे. आज स्थिति ठीक नहीं है. भाजपा सरकार ने रेलवे को चौपट कर दिया है. रेलवे की सारी व्यवस्था को निजी कंपनी को हैंडओवर कर दिया है. आज तक रेलवे में कोई सुधार नहीं दिखता है. श्री लालू शाम साढ़े चार बजे पटना के लिए रवाना हो गये.
सजल चक्रवर्ती की भी गवाही दर्ज
चारा घोटाला से जुड़े मामले आरसी 20ए/96 में झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने अपनी गवाही दर्ज करायी. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शंभुलाल साव की अदालत में गवाही दर्ज की गयी. यह मामला चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद अौर जगन्नाथ मिश्रा को सजा सुनायी जा चुकी है. सजल चक्रवर्ती को झारखंड हाइकोर्ट से राहत मिली थी. हाइकोर्ट के फैसले को सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सजल के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था. अब सजल के रिकार्ड की  सुनवाई अलग से हो रही है.