कुछ लोगों ने मुझसे पूछा ! प्रधानमंत्री ने गौ रक्षकों पर इतनी बड़ी बात कह दी! आपने इसपर कोई टिपण्णी नहीं की? कोई ब्लॉग नहीं लिखा ? तो मेरा उनको एक मात्र जवाब होता है . पिक्चर अभी बाकी है दोस्त! अब गौर कीजिये टाउन हॉल में प्रधानमंत्री ने क्या कहा था . उसकी हौसला अफजाई मैंने भी की थी . मोदीजी ने साफ़ कहा था के राज्य सरकारों को एक डोसियर तैय्यार करना चाहिए ऐसे गौ रक्षकों पर और फिर ये भी जोड़ दिया के “सत्तर से आसी फीसदी” तथाकथित गौरक्षक ऐसे काम में लगे हैं , जिसकी समाज में कोई जगह नहीं है और अपनी बुराइयों को छुपाने के लिए उन्होंने गौरक्षकों का चोला पहन लिया है. मगर हैदराबाद तक आते आते ,अस्सी फीसदी “मुट्ठी भर” में बदल गया .आर एस एस यानि संघ ने भी रहत की सांस ली ,क्योंकि संघ को भी टाउन हॉल में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए आंकड़े पर ऐतराज़ था . यानी सिर्फ 24 घंटों में प्रधानमंत्री का ह्रदय परिवर्तन हो गया . तो जैसा मैंने कहा पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त. उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री माहौल को देखकर इसमें फिर से संशोधन कर सकते हैं . कहानी में ट्विस्ट अभी देखना बाक़ी है.
Editorial
“गौ रक्षा” के नाम पर “गौ आतंकवाद”
मशहूर फनकार जावेद जाफरी की एक शायरी हमारे वतन के मौजूदा हालात को बड़े सही तरीके से बयां करती है
“नफरतों का असर देखो, जानवरों का भी बटवारा हो गया ,
गाय हिन्दू हो गयी, और बकरा मुस्लमान हो गया”।
मोदी के दौर में कैसे बदल गया देश ……
मै ये किसके नाम लिखू जो अलम गुज़र रहे हैं, मेरे देश जल रहे हैं मेरे लोग मर रहे हैं..!क्या मोदी सरकार से पहले भारत में मुस्लिम मांस नहीं खाते थे??? नई सरकार आने के बाद इस तरह के मामलो में किस हद तक बढ़ोतरी हुई है क्या कभी सोचा गया.
औरतों को लेकर इस्लाम संकीर्ण नहीं बल्कि मर्दवादी मजहबी ढांचा जिम्मेवार है
सारी बंदिशें, सारी रुकावटें व रोक-टोक और हर क़ानून (धार्मिक क़ानून) क्या सिर्फ औरतों के लिए बनी है, या बनाई गई है. ये अंतरद्वंद भी बड़ा विचित्र सा लगता है. जो बंदिशें बनी है या बनाई गई है इन दोनों के दायरे में अगर सिर्फ एक ही जाति (औरत) ही आती है तो सवाल उठना लाजिम है कि ये कौनतय कर रहा है जिसमें एक जाति (औरत) पिंजरे के अंदर होती है दूसरी जाति मर्द बाहर. फिलहाल बहस जो बनी है उसपर नहीं जो बनाई गई है उसपर है.
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