Adab O Saqafat
उर्दू ड्रामे का इर्तिक़ाई जायज़ा
तमहीद
ज़िंदगी एक स्टेज है और हम फ़नकार (शेक्सपियर)
`पोस्टमॉर्टम’
एनाउन्सर स्टेज पर आकर कुछ बोलना शुरू करता है तो लगता है कि वह ड्रामे का तआरुफ दे रहा है और जल्द ही ड्रामा शुरू होगा, लेकिन दर असल ड्रामा शुरू हो चुका होता है। एक एक फ़नकार को स्टेज पर बुला कर उसका तआरुफ देना ड्रामे के पहले या बाद में
फूलबन
अंग्रेज़ी दानिश्वर इशपन्गलर कहता है:जब अक़वाम रुहानी क़ुव्वत और अहम तहज़ीबी इक़दार की इशाअत के फ़रीज़े से बेनयाज़ होकर महज़ माद्दी जरूरतों और आसाइशों के लिए वक़्फ़ होजाएं तो इन में दूसरों को मुतास्सिर करने की सलाहियत कम हो जाती है और
‘ए टेल आफ़ शेकन फ़ेथ ‘
ए टेल आफ़ शेकन फ़ेथ (मुतज़लज़ल एतिमाद की कहानी) के ज़रिये ब्रीगेडीयर मनमोहन शर्मा ने फ़ौज में पाई जाने वाली बदउनवानियों और अक़रबा परवरी से पर्दा उठाने की कामियाब कोशिश की है।
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