मंदिर के नारीयल से आनधराई होटलों में खोपरे की चटनी
नुमाइंदा ख़ुसूसी-ये ऐसा दौर है कि हर क़दम फूंक फूंक पर रखना पड़ता है। इंसान किस पर भरोसा करे और किस पर ना करे ये तै करना मुश्किल होगया है। इसी तरह किया खाया जाय और क्या ना खाया जाय ये तो और भी बड़ा और संगीन मसला बनता जा रहा है। क्या हलाल